Dharmesh Dhawankar

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    नागपुर. आरटीएम नागपुर विवि में जनसंवाद विभाग के प्रा. धर्मेश धवनकर द्वारा प्राध्यापकों को उनकी शिकायत का डर दिखाकर लाखों रुपये की वसूली मामले में प्रशासन का अब तक महज ‘टाइम पास’ ही चल रहा है. दो समितियों का गठन किया गया लेकिनों दोनों ने जांच नहीं की. इस बीच धवनकर ने मामले से जुड़े सबूत मिटाने का भी प्रयास किया. इतना ही नहीं, महीनेभर बाद भी विवि ने धवनकर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई.

    विधान परिषद की उपसभापति नीलम गोरहे ने बुधवार को मुंबई में बैठक लेकर धवनकर मामले की जांच के लिए प्र-उपकुलपति की समिति गठित करने के निर्देश दिये लेकिन इससे पहले विवि द्वारा दो बार समितियां गठित की जा चुकी हैं. दोनों समितियों ने जांच भी आरंभ नहीं की. अब प्र-उपकुलपति की समिति मामले की जांच करेगी.

    उधर, घटना के बाद से ही अजनी पुलिस थाने के अधिकारी विवि प्रशासन से संपूर्ण जानकारी मांग रहे हैं लेकिन प्रशासन लगातार टालमटोल कर रहा है. इतना ही नहीं, विवि ने पुलिस में शिकायत भी दर्ज नहीं कराई. बताया जाता है कि धवनकर ने प्राध्यापकों से वसूली के लिए विवि के कार्यालय से फोन किये थे. साथ ही उनके विभाग में भी कुछ प्राध्यापक आये थे. घटना के बाद विभाग में लगे सीसीटीवी बंद कर दिये गये. महीनेभर का समय मिलने के कारण फोन से जुड़ी सबूत भी नष्ट किये जाने की जानकारी है. मामले में की गई देरी से साफ हो जाता है कि विवि प्रशासन खुद धवनकर को बचाने के लिए सभी तरह के प्रयास कर रहा है.

    पुलिस में मामला दर्ज नहीं : सीपी 

    बुधवार को मुंबई में हुई बैठक में उच्च व तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने मामले के संबंध में जांच अधिकारी और पुलिस आयुक्त के साथ बैठक कर जानकारी हासिल करने की बात कही थी. इस बीच पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी हासिल कर रहे हैं लेकिन अब तक इस मामले में पुलिस में प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है.

    उल्लेखनीय है कि धवनकर मामले में शुरुआत से ही ‘दबाव तंत्र’ का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन विप उपसभापति द्वारा गंभीरता दिखाये जाने के बाद से उम्मीद है कि ‘वसूलीबाज’ धवनकर के खिलाफ कार्रवाई होगी.