नागपुर: राज्यभर के शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालयों (Government Medical Colleges) व अस्पतालों के निवासी डॉक्टरों ने सरकार के खिलाफ एक बार फिर मोर्चेबंदी का मूड बना लिया है। विविध प्रलंबित मांगों को लेकर निवासी डॉक्टरों के संगठन सेंट्रल मार्ड ने 7 फरवरी की शाम 5 बजे से सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में सरकार को भी अल्टीमेटम दे दिया गया है। सरकार द्वारा पिछले वर्षों से स्नातकोत्तर की सीटें तो बढ़ाई जा रही हैं लेकिन सुविधाएं पर्याप्त नहीं हैं।
यही वजह है कि निवासी डॉक्टरों को दिक्कतों के बीच काम करना पड़ रहा है। नागपुर की बात करें तो मेडिकल (Nagpur Medical) में 2 हॉस्टल बनाए जा रहे हैं लेकिन अब तक पूरा काम नहीं हो सका है। मेयो में निवासी डॉक्टरों के लिए पर्याप्त जगह ही नहीं है। निवासी डॉक्टरों की ड्यूटी 24 घंटे की होती है। इस हालत में कॉलेज परिसर से बाहर रहने वालों को रात में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
सरकार को अल्टीमेटम
मेयो के सभी जूनियर निवासी डॉक्टर आंदोलन में शामिल होंगे। इस दौरान केवल इमरजेंसी सेवा ही दी जाएगी, जबकि अन्य सेवाएं बंद रहेंगी। सेंट्रल मार्ड के निर्देश के तहत ही सामूहिक अवकाश पर जाएंगे। – डॉ. बालगंगाधर द्विवेदी, अध्यक्ष, मार्ड मेयो
हॉस्टल की समस्या गंभीर हो गई है। मेडिकल के कई निवासी डॉक्टरों को बाहर किराए से रहना पड़ता है। इस हालत में नाइट ड्यूटी के वक्त परेशानी होती है। खासतौर पर महिला डॉक्टरों को दिक्कतें आती हैं। हॉस्टल का निर्माण अब तक पूरा नहीं हुआ है। – डॉ. शुभम महल्ले, अध्यक्ष, मार्ड मेडिकल
विद्या वेतन में देरी से नाराजगी
निवासी डॉक्टरों को हर माह 10 तारीख के भीतर विद्या वेतन मिलता है लेकिन पिछले कुछ महीनों से अनियमितता का दौर जारी है, मेडिकल और मेयो में पिछले 2 महीने से विद्या वेतन नहीं मिला है, गोंदिया मेडिकल कॉलेज में 3 महीने और चंद्रपुर में भी 2 महीने से विद्या वेतन नहीं मिला है। सुरक्षा की समस्या अब भी बरकरार है। महाराष्ट्र सुरक्षा रक्षकों की संख्या कम होने से निवासी डॉक्टरों को ‘भय’ के माहौल में काम करना पड़ता है। तमाम तरह की अव्यवस्था में सुधार की मांग को लेकर राज्यभर में आंदोलन किया जाएगा।