Satish Uke
वकील सतीश उके (File Photo)

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    नागपुर. अजनी पुलिस ने विवादित वकील सतीश उके और उसके परिवार के सदस्यों समेत 7 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. आरोपियों ने फर्जी तरीके से एनआईटी की जमीन हड़प ली. एनआईटी के विभागीय अधिकारी पंकज रमेश पाटिल (45) की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया. अन्य आरोपियों में श्रीरंग गृहनिर्माण सहकारी संस्था के अध्यक्ष सुभाष मणिलाल बघेल, चंद्रशेखर नामदेवराव मते, प्रदीप महादेवराव उके, माधवी प्रदीप उके, शेखर महादेवराव उके और मनोज महादेवराव उके का समावेश है. उल्लेखनीय है कि इसके पहले भी उके बंधुओं के खिलाफ जमीन हड़पने के कई मामले दर्ज है. जमीन से जुड़े अवैध व्यवहार को लेकर कुछ समय पहले प्रवर्तन निदेशालय ने उके बंधुओं को गिरफ्तार भी किया था.

    मौजा बाबुलखेड़ा के खसरा क्र. 82/2 के उत्तर में स्थित 4,100 वर्ग मीटर जमीन पर कब्जे से संबंधित लोगों की जानकारी पुलिस विभाग ने एनआईटी से मांगी थी. एनआईटी के अधिकारियों ने सारा रिकॉर्ड खंगाला तो पता चला कि यह जमीन पहले यूएलसी में आरक्षित थी लेकिन बाद में 4,100 अतिरिक्त होने के कारण एनआईटी के कब्जे में थी. इस जमीन की प्रत्यक्ष रूप से जांच करने पर एनआईटी के अधिकारियों को 34 प्लॉट पर मकान बने दिखाई दिए. जिसमें से 26 प्लाटधारकों ने नियमितीकरण करने के लिए एनआईटी को आवेदन भी दिया था. बाकी 12 प्लाटधारकों को श्रीरंग गृहनिर्माण सोसाइटी के अध्यक्ष सुभाष बघेल ने सेल डीड करके प्लॉट बेचा था. वहीं चंद्रशेखर मते ने जमीन के मूल मालिक ढवले परिवार से पॉवर ऑफ अटर्नी लेकर उके परिवार को जमीन बेच डाली थी. फर्जीवाड़ा सामने आने पर एनआईटी के अधिकारियों ने अजनी पुलिस से शिकायत की. पुलिस ने विविध धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

    अब तक 12 मामले दर्ज 

    उके बंधुओं के खिलाफ सिटी पुलिस अब तक 12 मामले दर्ज कर चुकी है. पिछले डेढ़ वर्ष में उनके खिलाफ 4 मामले दर्ज हुए है. उपरोक्त जमीन से ही लगकर एश्वर्य सोसाइटी की जमीन हड़पने के कारण उके बंधुओं पर पहले मामला दर्ज हो चुका है. पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि सतीश और प्रदीप उके ने कई लोगों की जमीन हड़पी है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा एक मामले में दोनों की गिरफ्तारी हुई थी. फिलहाल दोनों जेल की हवा खा रहे हैं. जल्द ही उन्हें गिरफ्तार करने के लिए न्यायालय से प्रोडक्शन वारंट लिया जाएगा. जमीन व्यवहार से जुड़े पेचिदा प्रकरण होने के कारण पुलिस जांच में सहयोग के लिए फॉरेंसिक ऑडिटर की मदद लेने वाली है.