Nagpur High Court
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नागपुर. हिंगना के तिहरा हत्या प्रकरण में हाल ही में जिला सत्र न्यायालय के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पी.वाई. लाडेकर ने गुमगांव निवासी राजू बिरहा को मृत्युदंड की सजा सुनाई. जिस पर मुहर के लिए हिंगना पुलिस के माध्यम से राज्य सरकार अब हाई कोर्ट पहुंची. साथ ही आरोपी की ओर से सत्र न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए अपील दायर की गई. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश विनय जोशी और वाल्मिकी मेनेजेस ने आरोपी राजू बिरहा को अदालत में हाजिर करने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया. साथ ही अदालत ने 19 जून से मामले पर अंतिम सुनवाई करने के आदेश भी जारी किए. सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील संजय डोईफोड़े और आरोपी की ओर से अधि. सुमित जोशी ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि सत्र न्यायालय ने राजू बिरहा को धारा 302 के तहत दोषी पाया था.

पानटपरी की जगह को लेकर था विवाद

उल्लेखनीय है कि राजू बिरहा और सुनील काटोंगले के बीच पान की टपरी की जगह को लेकर विवाद चल रहा था. 17 नवंबर 2015 को सुनील अपने मित्र आशीष उर्फ गोलू गायकवाड़ और कैलाश बहादुरे खड़े होकर आपस में बात कर रहे थे. इसी दौरान बिरहा अपने साथी कमलेश के साथ वहां पहुंच गया. तुरंत सत्तूर निकालकर सुनील पर हमला कर दिया जिससे सुनील की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गई. अचानक हुए हमले से घबराकर आशीष और कैलाश वहां से भागने लगे. दोनों को भागते देख बिरहा ने बाइक से उनका पीछा किया. थोड़ी ही दूरी पर उन्हें पकड़कर दोनों की हत्या कर दी. 

फांसी न देने की गुहार

विशेषत:निचली अदालत में भी जिस समय फांसी का फैसला सुनाया गया तब तक शांत बैठा बिरहा अचानक परेशान हो उठा था. वकील के रहते हुए भी उसने स्वयं अदालत से फांसी नहीं देने की गुहार लगाई थी. अपने बचाव में उसने कहा कि पिछले 7 वर्षों से वह जेल में हैं. उच्चतम न्यायालय के कई ऐसे फैसले हैं जिसमें इतनी लंबी अवधि के लिए जेल में रहने वाले दोषियों को फांसी न दी जाए लेकिन बिरहा की दलीलों को कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दिया था. अदालत का मानना था कि मामले में आरोपी ने आपराधिक और क्रूर मानसिकता का परिचय दिया है न केवल एक व्यक्ति को मौत के घाट उतार दिया, बल्कि चश्मदीद गवाह के रूप में कोई न बच पाए, इसके लिए अन्य 2 लोगों की भी हत्या कर दी.