Technical fault in EVM machines at 25 places in Chhatrapati Sambhajinagar
छत्रपति संभाजीनगर में 25 जगहों पर EVM मशीन खराब (फाइल फोटो)

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नागपुर. ईवीएम को लेकर जनजागृति के लिए देश भर में गाड़ियां किराये पर लेकर सरकारी तंत्र की ओर से प्रचार किया जा रहा है. इस तरह से ईवीएम को लेकर जनजागृति करने की बजाय उन्हीं पैसों का उपयोग बैलेट पेपर से चुनाव कराये जाने पर पारदर्शक पद्धति से चुनाव पर लोगों का विश्वास मजबूत होता. तमाम मुद्दों को लेकर अब मोहनिश जबलपुरे की ओर से केंद्रीय चुनाव आयोग को कानूनी नोटिस भेजा गया है जिसमें 8 दिन में जवाब देने अन्यथा कोर्ट में जाने की चुनौती दी गई है. इंडियन लायर्स एसोसिएशन के माध्यम से जिलाधिकारी को भी इसकी प्रतिलिपि प्रदान की गई. नोटिस में अधि. एस.टी. चव्हाण ने कहा है कि चुनाव आयोग देश के संविधान द्वारा स्थापित स्वतंत्र संवैधानिक संस्थान है. जब चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है तब उस समय की सरकार सीमित हो जाती है. सरकार के बदले पूरी शक्तियां चुनाव आयोग के हाथों में होती हैं. देश की सभी सरकारी एजेंसियां चुनाव आयोग को जवाबदेही होती हैं.

सभी के लिए समान कानून

वर्ष 2014 के बाद से चुनाव आयोग की बदली कार्य पद्धति पर सवाल उठाते हुए नोटिस में कहा गया है कि चुनावी प्रक्रिया शुरू होते ही एक ओर जहां विपक्ष पर शिकंजा कसा जाता है वहीं सत्ता पक्ष पर भी अंकुश रखा जाना चाहिए. यही कारण है कि न केवल चुनावी प्रक्रिया बल्कि चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र संवैधानिक संस्थान पर से लोगों का विश्वास कम होता दिखाई दे रहा है. सभी के लिए कानून समान होने की वकालत करते हुए कहा गया है कि टैक्स के माध्यम से मतदाताओं से जो पैसा आता है उसी पैसों से चुनाव होता है. ऐसे में चुनाव किस तरह से हो, यह जनता की मांग के अनुसार निर्धारित होना चाहिए. वर्तमान में जनता बैलेट पेपर से चुनाव कराना चाहती है लेकिन चुनाव आयोग ईवीएम से चुनाव कराने पर अड़ा हुआ है.

आविष्कार करनेवालों ने परे कर दी मशीन

नोटिस में कहा गया है कि जिन देशों ने ईवीएम का आविष्कार किया उन्होंने ईवीएम से चुनाव कराना बंद कर दिया है. टेक्नोलॉजी में आगे इन देशों ने बैलेट से ही चुनाव कराना उचित समझा. इसी तरह की मांग अब भारत के मतदाताओं की ओर से की जा रही है. लोकसभा चुनाव से पूर्व मतदान क्षेत्रों में लगभग 42 हजार गाड़ियों पर प्रचार रथ तैयार किए गए जिनके माध्यम से ईवीएम में गड़बड़ी नहीं तथा ईवीएम से ही चुनाव कराने के लिए जनजागृति की जा रही है जबकि जनता का विरोध है. इस तरह से 42 हजार गाड़ियों पर होनेवाले खर्च का उपयोग बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर किया जा सकता था.