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    नागपुर. प्राथमिक स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के दौरान दोपहर को भोजन उपलब्ध कराने की योजना सरकार द्वारा चलाई गई. बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस संदर्भ में इच्छुकों से टेंडर मंगाए गए. टेंडर प्रक्रिया में सबसे न्यूनतम बोली लगाने के बावजूद अन्न आपूर्ति के लिए कार्यादेश नहीं दिए जाने के पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदूरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने अगले आदेश तक जिस टेंडर प्रक्रिया में याचिकाकर्ता सफल हुआ है, उसे नजरअंदाज कर वर्ष 2021-22 के लिए मिड डे मील की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करने के आदेश सरकार को दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. शशांक मनोहर और अधि. अक्षय नाईक तथा सरकार की ओर से अति. सरकारी वकील दीपक ठाकरे ने पैरवी की.

    टेंडर प्रक्रिया में आगे बढ़ सकता है संचालनालय

    अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि 18 मार्च 2021 को टेंडर नोटिस जारी किया गया था जिसमें 30 दिसंबर 2021 को याचिकाकर्ता सफल पाया गया. अत: प्राथमिक स्तर पर इस टेंडर प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में प्राथमिक शिक्षा संचालनालय को किसी तरह की न्यायिक बाधा नहीं है. अदालत ने इस संदर्भ में 10 मई 2022 और 22 जून 2022 को दिए गए पत्र पर संज्ञान लेने के आदेश भी प्राथमिक शिक्षा संचालनालय को दिए. इसके अलावा राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के सचिव और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश दिए.

    विदर्भ के अनेक स्कूलों में करना है सप्लाई

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता का टेंडर वैध माना गया था जिसे लेकर याचिकाकर्ता को 30 दिसंबर को पत्र भी दिया गया. टेंडर प्रक्रिया में असफल रहे कुछ टेंडरधारकों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी जिस पर 10 जनवरी 2022 को अदालत ने अंतरिम आदेश जारी किए थे. इससे टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी कार्यादेश नहीं दिए गए. 4 मई 2022 को यह याचिका खारिज कर दी गई.

    अदालत का मानना था कि विदर्भ के अनेक स्कूलों में मिड डे मील की सप्लाई होनी है. प्राथमिक स्कूल के छोटे बच्चों के लिए यह अनिवार्य है. टेंडर के इस उद्देश्य को उजागर कर अदालत ने याचिका खारिज कर दी थी. उक्त याचिका खारिज हो जाने के बाद टेंडर के सफल टेंडरधारक को कार्यादेश दिया जाना था किंतु यह नहीं किया गया. अत: विभाग को पत्र दिया गया. लेकिन किसी तरह का निर्णय नहीं लिया गया. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.