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नागपुर. एक ओर प्रशासन द्वारा बाल, माता, नवजात मृत्यु रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किये जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर हर वर्ष आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. शहरी भागों के अलावा अब ग्रामीण भागों में भी शासकीय स्तर पर अच्छी सुविधा मिलने लगी है. इस हालत में स्थिति में सुधार होना चाहिए था लेकिन स्थिति संतोषजनक नहीं है. नवजात मृत्यु के मामले में राज्य में नागपुर, पुणे, अमरावती, यवतमाल जिले अधिक प्रभावित है. सूचना के अधिकार के अंतर्गत अभय कोलारकर द्वारा मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है.

स्वास्थ्य विभाग पुणे कार्यालय से नागपुर, पुणे, अमरावती, अकोला, यवतमाल जिले से मिली जानकारी के अनुसार 2019-20 में 14,614 नवजातों की मृत्यु हुई. वहीं 2020-21 में यह संख्या 13,959 रही. 2021-22 में आंकड़ा बढ़कर 14,296 पर पहुंच गया. 2022-23 में राज्य में 13,653 मृत्यु दर्ज की गई. 2022-23 में नवजातों की मृत्यु संख्या को देखते हुए हर दिन 31.35 तथा प्रत्येक 39 मिनट में एक नवजात की मृत्यु हो रही है. 2021-22 की तुलना में 2022-23 मृत्यु के मामले ज्यादा देखने को मिले हैं.

माता मृत्यु में भी नागपुर अव्वल

जिले में जनवरी 2020 से मार्च 2020 तक 34 माता मृत्यु हुई. इसी तरह अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 133, अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 176 और अप्रैल 22 से मई तक 18 सहित कुल 361 माता मृत्यु हुई. माता मृत्यु के मामले में नागपुर पहले स्थान पर रहा. जबकि पुणे में 249, अमरावती 103, अकोला 102 और यवतमाल में इसी अवधि में 59 माता मृत्यु दर्ज की गई. 0-1 वर्ष आयु के बच्चों की मृत्यु के मामले में भी नागपुर जिला अव्वल रहा है. 2019 से लेकर अब तक कुल 3,971 बच्चों की मौत हुई है. वहीं 1-5 वर्ष आयु के 798 बच्चों की मौत हुई. इसी तरह 2,325 की जन्म से पहले ही मृत्यु हो गई. पुणे में सर्वाधिक 3,845, अमरावती 2,541 और अकोला में 2,073 की मृत्यु दर्ज की गई.

5 जिलों में मृत जन्म (स्टिलबर्थ) की स्थिति

वर्ष नागपुर पुणे अमरावती अकोला यवतमाल
2019-20 708 898 683 549 183
2020-21 590 778 648 646 89
2021-22 467 1013 584 550 72
2022-23 560 1156 626 510 68
कुल 2325 3845 2541 2073 412