Ambazari Lake
अंबाझरी तालाब

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नागपुर. बीते कई वर्षों से शहर तालाबों की दशा सुधारने के लिए बहुत सारी बातें हो रही हैं, लेकिन उनका पर्यावरण स्वच्छ बनाने की दिशा में ठोस कुछ भी नहीं हो पाया है. शहर के बड़े शुक्रवारी तालाब से लेकर बिनाकी मंगलवारी के छोटे तालाब तक की जलराशि इस लायक नहीं है कि कोई इसमें अपना हाथ भी भिगाने की हिम्मत कर सके.

स्वच्छ जल के मामले में शहर का अंबाझरी, गोरेवाड़ा तालाब ही प्रदूषण से बचे हुए हैं, जबकि सोनेगांव और फुटाला तालाब का जल थोड़े बहुत प्रयासों के चलते कुछ सुधार पर है, परंतु गांधीसागर, सक्करदरा तालाब, नाईक तालाब, झिंगाबाई टाकली तालाब,  बिनाकी मंगलवारी तालाब, लेंडी तालाब आदि पूरी गंदगी का ठिकाना बने हुए हैं.

आज भी लोग इनमें कचरा डालने के लिए पहुंच रहे हैं. इन तालाबों के किनारे अब भी प्लास्टिक कचरे के ढेर जमा हैं. मनपा द्वारा इनके लिए बार-बार योजनाएं बन चुकी हैं, लेकिन शायद नागरिक समस्याओं की सूची में तालाबों का स्थान काफी पीछे है, इसीलिए योजनाओं का कभी भी क्रियान्वयन नहीं हो पाया.

जलाशयों में जमा कई टन प्लास्टिक कचरा

जिस भी तालाब के किनारे बैठकर पानी में निगाह डालते हैं उसमें नीचे प्लास्टिक कचरा ही नजर आता है. शहर के 2 बड़े तालाबों शुक्रवारी और फुटाला में सबसे ज्यादा गणेश विसर्जन होता है. इसके अलावा सालभर छिटपुट निर्माल्य सामग्री डाली जाती है. इससे हर वर्ष इनमें भारी मात्रा में कचरा जमा होता है. विसर्जन के दौरान नागपुर मनपा और कुछ गैरसरकारी संस्थाएं मिलकर निर्माल्य बाहर एकत्र करती हैं. इसके बावजूद अन्य तीज- त्योहारों पर इनमें काफी निर्माल्य जाता ही है.

कुछ वर्ष पहले विसर्जन के बाद वायुसेना के सदस्यों ने फुटाला में सफाई अभियान चलाकर काफी कचरा बाहर निकाला था. फिर भी यहां काफी गंदगी जमा है. शुक्रवारी तालाब इन दिनों गंदगी के लिए चर्चा में है. इसके सभी किनारो पर सतह में काफी कचरा जमा है. सक्करदरा तालाब में कमल बेलों का जाल फैला हुआ है. इसके किनारे में भी भारी मात्रा में कचरा जमा है. 

लेंडी तालाब विलुप्त प्राय:, नाईक तालाब बना दल-दल

लालगंज में स्थित लेंडी तालाब अब विलुप्त होने की कगार पर है. यह तालाब तो मैदान में बदल चुका है. साथ ही सब तरफ से इस पर अतिक्रमण है. यह निजी तालाब होने से प्रशासन इस पर कोई निर्णय नहीं ले पा रहा है. यह तालाब इन दिनों एक दल-दल की शक्ल में है और यह मध्य नागपुर में मच्छरों के भारी प्रकोप की वजह बना हुआ है. नाईक तालाब भी दल-दल की तरह बन चुका है. आसपास से सुंदर होने के बावजूद इसमें कीचड़ की मोटी परत है जिसे निकालना असंभव है. यह कीचड़ शहर की गटर लाइन, धूल-मिट्टी के कारण कई वर्षों में तैयार हुआ है.