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    नागपुर. बीते अनेक वर्षों से जिला परिषद की सत्ता में जो भी बैठता है वह जिप की आय बढ़ाने के लिए उसकी मालिकी की जमीन में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, माल्स आदि बनाने का दावा करता है. ये दावे करीब डेढ़ दशक से तो किये ही जा रहे हैं लेकिन आज तक एक भी प्रकल्प साकार नहीं किया जा सका है. महल जैसे बाजार क्षेत्र में बड़कस चौक की करीब 6,700 वर्ग फीट जमीन में तो कभी कमर्शियल कॉम्प्लेक्स तो कभी महिला बचत गट के लिए माल्स आदि तैयार करने के दावे किये गए. उसका डिजाइन व इस्टीमेट तक तैयार कर लिया गया. तत्कालीन मुख्यमंत्री तक ने इसके लिए 25 करोड़ रुपये देने की घोषणा कई बार की.

    केन्द्रीय मंत्री तक ने अपने भाषणों में अनेक बार इसका उल्लेख किया लेकिन माल्स कागजों में ही खड़ा है, साकार नहीं किया जा सका. करीब 2 वर्ष पूर्व वर्धा रोड स्थित साई मंदिर के पास वाली जिप की मालिकी की जमीन में किसानों के लिए माल्स साकार करने की घोषणा की गई. राज्य के मंत्री महोदय ने भी इसका उल्लेख किया लेकिन अब तक इस माल्स का प्रस्ताव तक अधिकारियों ने तैयार नहीं किया है.

    बताते चलें कि पूर्व उपाध्यक्ष व बांधकाम समिति सभापति मनोहर कुंभारे ने विभाग के अधिकारियों को किसानों के लिए माल्स का डिजाइन, इस्टीमेट आदि तैयार करने का निर्देश दिया था, जानकारी के अनुसार लेकिन अब तक बांधकाम विभाग द्वारा प्रस्ताव तैयार नहीं किया गया है. अगर एक प्रस्ताव तैयार करने में ही 2 वर्ष कम पड़े तो फिर माल्स कब व कैसे साकार होगा यह सोचने वाली बात है.

    सरकार नहीं दे रही निधि

    जिला परिषद की आय इतनी नहीं है कि वह अपने सेसफंड से माल्स या कमर्शियल कॉम्पलेक्स तैयार कर सके. इसके लिए उसे या तो बीओटी तत्व पर प्रकल्प साकार करने होंगे या फिर राज्य सरकार से निधि लानी होगी. उपाध्यक्ष द्वारा सरकार से निधि लाने का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन कोरोना महामारी के चलते निधि नहीं मिली. बड़कस चौक में प्रस्तावित महिला बचत गट माल्स के लिए तो तत्कालीन सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने 25 करोड़ रुपये देने की घोषणा की थी लेकिन अपने कार्यकाल में उन्होंने भी निधि उपलब्ध नही करवाई जबकि जिप में तब भाजपा की ही सत्ता थी. उसके बाद महाविकास आघाड़ी की सरकार बन गई.

    जिप में भी कांग्रेस-राकां-शिवसेना मित्रदलों की सत्ता है. जिले के दो-दो मंत्री हैं जिनमें से ग्रामीण भाग में वजनदारी रखने वाले मंत्री गुट का ही जिप पर कब्जा है. वे भी सरकार से निधि उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं यह आश्चर्य की बात है. साई मंदिर वाली जमीन पर पहले एक बिल्डर ने कब्जा जमा लिया था. अदालत के माध्यम से जमीन जिप को वापस मिली है. इसमें किसानों के लिए माल्स तैयार करने की संकल्पना कुंभारे की थी. ओबीसी आरक्षण के चलते उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ा. अब उनकी पत्नी उपाध्यक्ष हैं. उनका भी कार्यकाल दो महीने ही शेष है. उनकी यह संकल्पना अधूरी ही रह जाएगी.

    बड़कस चौक में चला रहे स्कूटर स्टैंड

    करोड़ों की अपनी बेशकीमती जमीन पर जिला परिषद प्रशासन बीते करीब 8-10 वर्षों से स्कूटर स्टैंड चला रहा है. हर वर्ष जमीन को ठेके पर दिया जा रहा है जिससे डेढ़ दो लाख रुपये की आवक ही वर्ष भर में हो रही है. अगर माल्स साकार किया गया तो यह आय कई गुना बढ़ेगी. इंतजार सरकार से निधि मिलने का ही है. शहर में जिप की मालिकी कि 3-4 बेशकीमती जमीनें हैं लेकिन उसका उपयोग नहीं हो रहा है. वाक्स कूलर वाली जमीन का उपयोग भी आय बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. पदाधिकारी तो इस संदर्भ में कुछ सकारात्मक नजर भी आते हैं लेकिन अधिकारी गंभीर नहीं हैं. वे तो प्रस्ताव तैयार करने में भी लेटलतीफी कर रहे हैं.