Punishment stayed till decision on appeal Nagpur High Court

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नागपुर. हत्या के एक मामले में दोषी करार देते हुए तदर्थ अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा उम्र कैद की सजा सुनाई गई जिसे चुनौती देते हुए मो. अब्दुल गनी अब्दुल सत्तार ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. अपील पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अर्जी स्वीकृत कर याचिकाकर्ता को दी गई उम्र कैद की सजा पर इस अपील के फैसले तक रोक लगा दी.

साथ ही अदालत ने अब्दुल गनी को 25,000 रुपए के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा करने के आदेश भी दिए. उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता जेल में उम्र कैद की सजा भुगत रहा था. याचिकाकर्ता गनी की ओर से अधि. राजेन्द्र डागा और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील हैदर ने पैरवी की. 

पिस्तौल से फायर करने का आरोप

अभियोजन पक्ष के अनुसार अब्दुल गनी और उसके सहयोगी मो. अरमान ने मो. अजाज पर हमला बोल दिया जिसमें उसकी जमकर पिटाई की गई. इसी दौरान गनी ने पिस्तौल निकालकर उस पर फायर कर दिया किंतु निशाना चूक जाने के कारण मो. अजाज वहां से भाग गया. अभियोजन पक्ष के अनुसार अरमान ने पीछा कर अजाज को पकड़ लिया और लगातार चाकू से उस पर वार किया.

इसके बाद गनी ने भी अजाज पर चाकू से कई वार किए. दोनों पक्षों की दलीलों और निचली अदालत द्वारा दिए गए फैसले पर अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने भी पिस्तौल के उपयोग को लेकर संदेह व्यक्त किया है. केवल आईपीसी की धारा 34 के आधार पर याचिकाकर्ता गनी को आरोपी साबित किया गया है. 

सह आरोपी के हमले से मृत्यु

अदालत ने आदेश में कहा कि अजाज की मृत्यु सह आरोपी मो. अरमान द्वारा चाकू से हमला करने के कारण हुई है. चाकू से जो जख्म हुए इसी के चलते मृत्यु हुई है. ऐसे में घटना के समय याचिकाकर्ता की घटनास्थल पर उपस्थिति या फिर घटना को अंजाम देते समय एक उद्देश्य था या नहीं? यह देखना जरूरी है. इसमें विवाद नहीं है कि जिन भारी जख्मों के कारण अजाज की मृत्यु हुई है, वह सह आरोपी द्वारा किए गए चाकू के वार से हुई है. निचली अदालत में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जमानत पर रहा है. अपील पर अंतिम फैसला होने के लिए समय लगने की संभावना है.