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    नागपुर. नंदनवन थानांतर्गत हत्या के प्रयास के साथ ही मकोका के तहत दायर एफआईआर में जमानत के लिए अमित बनकर ने याचिका दायर की. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने एफआईआर में गंभीर आरोप होने का हवाला देते हुए जमानत देने से साफ इनकार कर दिया. साथ ही याचिका ठुकरा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. यूवाई सोनकुसरे और सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील आशीष कड़ूकर ने पैरवी की. अभियोजन पक्ष के अनुसार 12 मार्च 2020 को नंदनवन थाना में याचिकाकर्ता और उसके साथी के खिलाफ धारा 307, 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 4 और 25 के तहत तथा मकोका की धारा 3 (1)(ii), (2), (4) के तहत मामला दर्ज किया गया.

    2 वर्ष से जेल में बंद आरोपी

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने सुनवाई के दौरान बताया कि याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता की ओर ईंट फेंकी थी जिसमें उसके सिर पर चोट लगी थी. शिकायत के अनुसार उसे 2 जगह पर जख्म हुए थे. जो सामान्य स्तर के थे. जहां तक हथियार से मारे जाने के आरोप का मसला है इसमें याचिकाकर्ता नहीं बल्कि उसका सहयोगी आरोपी है जिसने हथियार चलाकर शिकायतकर्ता को जख्मी कर दिया था. याचिकाकर्ता के कारण शिकायतकर्ता गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ था. इसके बावजूद अप्रैल 2020 से याचिकाकर्ता जेल में बंद है. चूंकि जांच खत्म हो चुकी है. इसे देखते हुए आरोपी को हिरासत में रखने का कोई औचित्य नहीं है. अत: जमानत प्रदान करने का अनुरोध अदालत से किया गया.

    सह आरोपी पर 13 मामले, याचिकाकर्ता पर 3

    जमानत का कड़ा विरोध करते हुए सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि सह आरोपी के खिलाफ 13 मामले दर्ज हैं, जबकि याचिकाकर्ता के खिलाफ भी 3 मामले हैं. इनमें भी याचिकाकर्ता के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत एक मामला भी दर्ज है. स्थानीय परिसर में याचिकाकर्ता की काफी दहशत है. यदि उसे जमानत पर छोड़ा गया तो अभियोजन पक्ष के गवाहों पर दबाव बनाया जा सकता है. ऐसे में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो पाएगी. याचिकाकर्ता की तमाम आपराधिक गतिविधियों को देखते हुए उसे जमानत नहीं देने का अनुरोध अदालत से किया गया. सुनवाई के दौरान अदालत से समक्ष क्राइम चार्ट भी प्रस्तुत किया गया जिसका अध्ययन करने के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किया.