Nagpur High Court
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नागपुर. बर्डी स्थित संगम चॉल के दूकानदारों को प्रन्यास ने वर्ष 1981 से लेकर 2002 के बीच अलग-अलग नोटिस तो जारी किए किंतु इसके बाद अवैध निर्माण को हटाने के लिए किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. इसे लेकर जयंत बूटी ने हाई कोर्ट में 2010 में याचिका दायर की. 20 सितंबर 2010 को सुनवाई के दौरान प्रन्यास ने बताया था कि इन वर्षों में निर्माण अवस्था में काफी परिवर्तन हो गया है.

अत: नये सिरे से नोटिस जारी करना जरूरी है. प्रन्यास के आश्वासन के बाद उस समय हाई कोर्ट ने याचिका का निपटारा तो कर दिया किंतु अब तक न तो नोटिस जारी किया गया और न ही कार्रवाई की गई. इससे पुन: हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रन्यास ने बताया कि अवैध निर्माण हटाने के लिए एक सप्ताह का समय देकर दूकानदारों को नोटिस जारी किया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. पीपी कोठारी ने पैरवी की.

अस्थायी शेड की जगह पक्के निर्माण

याचिकाकर्ता की पैरवी कर रहे अधि. कोठारी ने कहा कि बूटी की ओर से किरायेदारों को खाली जगह किराये से दी गई थी जिस पर अस्थायी रूप में टीन के शेड तैयार करने के लिए किरायेदारों ने प्रन्यास से अनुमति मांगी थी. प्रन्यास ने नियमों के अनुसार 6 माह के लिए अस्थायी अनुमति दी किंतु उसके बाद से प्रन्यास द्वारा किसी भी तरह से इस पर ध्यान नहीं रखा गया. प्रन्यास के अधिकारियों की अनदेखी का आलम यह रहा कि धीरे-धीरे यहां निर्माण कार्य स्थायी होते चले गए. मामला उजागर होने के बाद प्रन्यास की ओर से नोटिस तो जारी किए गए किंतु कार्रवाई नहीं की गई. इससे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. 

वर्षों बीतने के कारण अतिरिक्त निर्माण

प्रन्यास के पूर्व विभागीय अधिकारी रहे प्रदीप गांगुली ने हाई कोर्ट को बताया था कि वर्षों बीत जाने के कारण अतिरिक्त निर्माण हुआ है. अत: अवैध निर्माण तोड़ने के लिए नये सिरे से नोटिस जारी करना जरूरी है. हाई कोर्ट में दायर नई याचिका पर सुनवाई के दौरान प्रन्यास की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि कुछ अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया है. अत: कितना अतिरिक्त निर्माण कार्य किया गया, कितना निर्माण तोड़ना जरूरी है, इसका नये सिरे से सर्वे करना जरूरी है. अब सर्वे के बाद दूकानदारों को नोटिस जारी किए जाने की जानकारी प्रन्यास ने दी है.