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    नागपुर. राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेशों के अनुसार मनपा ने टीबी और कुष्ठ रोग का सर्वेक्षण करने का निर्णय लिया. सिटी और ग्रामीण में आशा कर्मियों के माध्यम से ही सर्वेक्षण किया जाना है. आलम यह है कि किसी तरह सर्वेक्षण पूरा कर सरकार तो अपना काम पूरा कर लेगी लेकिन अत्यल्प मानधन निर्धारित होने के कारण आशा कर्मियों पर आफत के बादल मंडरा रहे हैं. सर्वेक्षण में तमाम परेशानियों के बावजूद काफी कम मानधन निर्धारित किए जाने को लेकर अब आशा वर्कर्स में रोष पनपता जा रहा है. इसे उजागर करते हुए मनपा अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारी संगठन (आशा विभाग) ने मनपा प्रशासन को निवेदन सौंपा. शिष्टमंडल में जम्मू आनंद, रेशमा अडागले, ज्योति कावरे, मनीषा बारस्कर, इंदिरा गोटाफोडे, भाग्यश्री, देविका रेंडके, संगीता चौधरी आदि शामिल थीं.

    हर दिन 125 नागरिकों का टारगेट

    जम्मू आनंद ने कहा कि एक ओर जटिल सर्वेक्षण और अति अल्प मानधन तो दूसरी ओर कड़ी शर्तें लाद दी गई हैं. शर्तों के अनुसार हर दिन कम से कम 125 नागरिकों की जांच करना अनिवार्य है, जो काफी जटिल है. इसे तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाना चाहिए. इसी तरह से दिन में कम से कम 25 से 30 घरों की सीमा निर्धारित होनी चाहिए. इसी तरह से आशा वर्कर्स को प्रति दिन 200 रु. का मानधन दिया जाए. प्रत्येक थूक के लिए 50 रु., फेस शील्ड, सैनिटाइजर, ग्लोब्स और मास्क अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए. प्रशासन द्वारा पुरुष कार्यकर्ता भी उपलब्ध कराया जाए. अन्यथा आशा वर्कर्स द्वारा केवल महिलाओं की जांच की जा सकेगी. 

    संघर्ष के बाद मिला न्याय

    उन्होंने बताया कि संघर्ष के बाद अब न्याय मिलता दिखाई दे रहा है. हालांकि मनपा के स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरुवार को निकाले गए परिपत्रक में प्रतिदिन केवल 150 रु. देने का निर्णय लिया गया था लेकिन मनपा ने अब अपनी ओर से इसमें 50 रु. देने का वादा किया. इससे आशा वर्कर्स को अब 200 रु. प्रतिदिन मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि यह निर्णय केवल कुष्ठ रोग सर्वेक्षण के लिए लिया गया है. अत: टीबी सर्वेक्षण और थूक इकट्ठा करने के लिए प्रोत्साहन भत्ता देने के संदर्भ में खुलासा होना चाहिए. कुष्ठ रोग विभाग की तरह टीबी विभाग भी प्रति दिन आशा वर्कर्स को 150 रु. मानधन और प्रत्येक थूक जमा करने के लिए 50 रु. अतिरिक्त देने की मान्यता प्रदान करे.