Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. पोला के त्योहार के दिन कानून और व्यवस्था को बनाए रखने का हवाला देते हुए जिलाधिकारी की ओर से 27 को सभी बार बंद रखने के आदेश जारी किए थे. जिलाधिकारी के इस आदेश को चुनौती देते हुए वाइन सम्राट, एकवीरा वाइन बार और अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की. इस पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश अतुल चांदुरकर और न्यायाधीश उर्मिला जोशी ने जिलाधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया.

    याचिकाकर्ता की ओर से अधि. साहिल देवानी और सरकर की ओर से सहायक सरकारी वकील संगीता जाचक ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि जिलाधिकारियों द्वारा संबंधित जिलों की दूकानों को बंद रखने के लिए महाराष्ट्र प्रोहिबिशन एक्ट 1949 के तहत 22 अगस्त को आदेश जारी किया था.

    कानून-व्यवस्था के नाम पर नहीं रख सकते बंद

    याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि कानून की धारा 142 (1) की आवश्यकता को पूरा किए बिना ही जिलाधिकारी की ओर से आदेश जारी किया गया. हालांकि कानून में जिलाधिकारी को इसके अधिकार तो दिए गए हैं लेकिन ऐसा निर्णय लेने के लिए पुख्ता सबूत होना जरूरी है. केवल कानून और व्यवस्था का हवाला देते हुए दूकानों को बंद रखने के आदेश नहीं दिए जा सकते है. चूंकि बिना किसी आधार के आदेश जारी किए गए है, अत: जिलाधिकारी के आदेश को खारिज करने का अनुरोध अदालत से किया गया. 

    HC के आदेश का नहीं लिया संज्ञान

    दोनों पक्षों की दलीलों के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि जिलाधिकारी की ओर से जारी आदेश में धारा 142 (1) का उल्लेख तो किया गया, किंतु आवश्यक पुख्ता सबूतों की कहीं भी जानकारी उजागर नहीं की गई. यहां तक कि पुलिस अधीक्षक द्वारा 19 अगस्त 2022 को भेजे गए पत्र में भी हाई कोर्ट की ओर से इसके पूर्व अन्य मामले में दिए गए आदेश का संज्ञान नहीं लिया गया है. इसे देखते हुए अदालत ने जिलाधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया.