RTMNU, nagpur University

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    • 45 प्राध्यापकों की शिकायत ऑन रिकॉर्ड 
    • 100 से अधिक ने की थी कम्प्लेंट
    • 08 प्राध्यापकों को किया संस्पेंड 

    नागपुर. आरटीएम नागपुर विश्वविद्यालय द्वारा संलग्नित इंजीनियरिंग सहित अन्य कॉलेजों ने कोविड के दौरान प्राध्यापकों की वेतन कटौती कर दी थी. कई कॉलेजों ने प्राध्यापकों को सेवा ही निकाल दिया. इस संबंध में अनेक प्राध्यापकों ने विवि प्रशासन के पास शिकायत की थी. इसके बाद विवि ने जांच कमेटी भी बनाई लेकिन अब तक प्राध्यापकों को न्याय नहीं मिल सका. इसके विपरीत विविध कॉलेजों ने 8 प्राध्यापकों को शिकायत करने के मामले में संस्पेंड कर दिया.

    कोरोना काल में सभी की हालत खराब थी. कॉलेज बंद होने से ऑनलाइन क्लासेस चलती रहीं. प्राध्यापकों सहित स्टाफ के कॉलेज आने पर रोक थी. इसी का फायदा उठाते हुए विवि से संलग्नित 9 इंजीनियरिंग कॉलेज और एक पारंपरिक पाठ्यक्रम वाले कॉलेज ने प्राध्यापकों की वेतन कटौती कर दी. इस संबंध में प्राध्यापकों ने विवि के पास शिकायत की. शिकायतों के बाद विवि प्रशासन एक्शन में आया. 2020 में उपकुलपति ने जांच समिति बनाई. समिति ने कॉलेजों में वस्तु स्थिति के आधार पर रिपोर्ट तैयार की. 

    कई बार गया मांगा जवाब

    रिपोर्ट तैयार होने के कारण जिन कॉलेजों की खामियां पाई गईं उनसे जवाब मांगा गया. समिति ने एक-दो नहीं बल्कि 5 बार जवाब मांगा. 5 कॉलेजों ने जवाब भेजा. उसमें कॉलेजों ने स्पष्ट किया कि प्राध्यापकों को वेतन दिया गया है जबकि वेतन देने संबंधी कोई भी प्रूफ समिति के समक्ष पेश नहीं किये गये. कुछ कॉलेजों ने मनमर्जी की रिपोर्ट बनाकर भेज दी और प्राध्यापकों पर ठीकरा फोड़ दिया. मामला जांच कमेटी के समक्ष चल रहा था और न्याय ही नहीं मिला था. इस बीच एक वर्ष बाद उपकुलपति ने कमेटी के कामकाज पर रोक लगा दी. कामकाज पर रोक लगने के बाद से मामला अटक गया.

    अब कोई उम्मीद नहीं

    बताया जाता है कि 9 कॉलेजों के अलावा भी अन्य कॉलेजों के प्राध्यापकों की शिकायतें आई थीं लेकिन विवि ने इसे अपने रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया. कमेटी के पास केवल 45 प्राध्यापकों की शिकायतें दर्ज हैं जबकि विवि के सूत्र मानते हैं कि 100 से अधिक प्राध्यापकों की शिकायतें विवि को मिली थीं. शिकायत करने की वजह से कुछ कॉलेजों ने अपने 8 प्राध्यापकों को बिना किसी ठोस कारण से संस्पेंड भी कर दिया. ये प्राध्यापक अब भी न्याय के लिए भटक रहे हैं. बताया जाता है कि जितने भी प्राध्यापकों ने विवि के पास शिकायत की थी उनमें से किसी को भी उम्मीद के अनुरूप न्याय नहीं मिल सका. इन प्राध्यापकों में विवि प्रशासन के खिलाफ अब भी रोष है. अब जब विवि के सभी प्राधिकरण बर्खास्त हो गये हैं तो इन प्राध्यापकों के न्याय की उम्मीद भी लगभग खत्म हो गई है.