मोबाइल गेम के चक्रव्यूह में फंसे 75 प्रतिशत छात्र

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    नासिक : कुछ महीने के बच्चे (Kids) के साथ स्कूल के 75 प्रतिशत छात्र मोबाइल गेम (Mobile Game) के चक्रव्यूह (Chakravyuh) में फंस गए है। दो-तीन घंटे से 10 से 12 बारा घंटे बच्चे मोबाइल पर गेम खेल रहे है। दिवाली के अवकाश में बच्चे मैदानी खेल खेलने के बजाए मोबाइल पर गेम खेलते हुए नजर आए। कोरोना महामारी में बच्चों को दिए गए मोबाइल का परिणाम अब सामने आ रहा है। इस लत को छुड़ाने के लिए अभिभावक हर संभव प्रयास कर रहे है, लेकिन वह नाकाम साबित होते हुए दिखाई दे रहे है। तकनीक का जैसा लाभ होता है वैसा नुकसान भी होता है। यह सभी जानते है, लेकिन बच्चे इस चक्रव्यूह में फंस गए है, उन्हें इस चक्रव्यूह से कैसे बाहर निकाले? इस चिंता में सभी अभिभावक डूब गए है।

    उम्र के निहाय ऐसा होता है उपयोग

    • 6 महीने से 5 वर्ष तक – मोबाइल पर मनोरंजनात्मक, कार्टून के वीडिओ देखना। 
    • 6 से 14 वर्ष तक – मोबाइल, ऑनलाइन गेम ऐप का उपयोग करना। 
    • 15 से 21 वर्ष तक – सोशल मीडिया, गेम, ओटीटी का उपयोग। 

    ऐसे होता है विपरीत परिणाम

    बच्चों के स्‍क्रीन टाईम बढ़ने से आंख और श्रवण यंत्र की शिकायत बढ़ रही है। मानसिक बीमारी के लक्षण दिखाई दे रहे है। एकाग्रता का अभाव, चिड़चिड़ापन, आत्मविश्वास कम होना, बच्चे हिंसक बनना, डर निर्माण होना, न्यूनगंड, संवाद कौशल्य का अभाव। 

    कोरोना महामारी के दौरान तकनीक का शिक्षा के लिए उपयोग किया गया, लेकिन विद्यार्थी दशा में स्मार्ट फोन का उपयोग कम समय के लिए होना आवश्‍यक है। गेम, सोशल मीडिया का अतिरिक्त उपयोग करने से गंभीर बीमारी होने की संभावना होती है। इससे अभिभावक और बच्चे ने दूर रहना ही अच्छा है।

    डॉ. हेमंत सोननीस, मानसोपचार विशेषज्ञ