Nashik Municipal Corporation suffered a setback of 150 crores in the first quarter, the councilors may have to face problems

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    नासिक: चार हजार चौरस फुट से अधिक प्लॉट पर निर्माण कार्य करते समय नियमों के अनुसार 20 प्रतिशत प्लॉट या मकान आर्थिक दुर्बल घटकों के लिए आरक्षित रखना अनिवार्य है। निर्माण कार्य पूर्ण करने का प्रमाणपत्र देने से पहले संबंधित मकान दुर्बल घटकों को बेचने के लिए म्हाडा (MHADA) के पास हस्तांतरित करना अनिवार्य है। फिर भी आठ सालों में नासिक महानगरपालिका (Nashik Municipal Corporation ) ने 10 मकान भी हस्तांतरित नहीं किए। ऐसा आरोप लगाया गया है। 

    नासिक महानगरपालिका ने राज्य सरकार को रिपोर्ट देते हुए कहा है कि एकीकृत विकास नियंत्रण नियमावली में किए गए प्रावधान के अनुसार एक एकड़ से अधिक जगह पर प्रकल्प निर्माण के लिए अनुमति देते समय म्हाडा का अनापत्ति प्रमाण-पत्र (NOC)आवश्यक न हो। इसके बाद महानगरपालिका और म्हाडा के बीच नियमों को लेकर विवाद  हो गया है।

    नियमों का नहीं किया गया पालन!

    नवंबर 2013 के नियम के अनुसार, विकास नियंत्रण नियमावली और दिसंबर 2020 से लागू किए गए एकात्मिक विकास नियंत्रण व प्रोत्साहन नियमावली में आर्थिक दृष्टि से दुर्बल घटक और कम आय गुट के लिए मकान उपलब्ध कराने के लिए नियम बनाया गया है। इसके तहत 20 प्रतिशत प्लॉट या मकान निर्माण पूर्ण होने के बाद महाराष्ट्र गृहनिर्माण व क्षेत्र विकास मंडल (म्हाडा) के पास हस्तांतरित करना आवश्यक होता है, परंतु नासिक महानगरपालिका ने 10 मकान भी हस्तांतरित न करते हुए बिल्डरों को निर्माण कार्य पूर्ण होने का प्रमाण-पत्र दे दिया, जो बड़ा अपराध है।

    जितेंद्र आव्हाड ने लगाए थे ये आरोप

    इसके माध्यम से 700 से 1 हजार करोड़ रुपए का नुकसान होने का आरोप तत्कालीन गृहनिर्माण विकास मंत्री जितेंद्र आव्हाड ने लगाया था। म्हाडा के पास 3,500 मकान हस्तांतरित न करते हुए बेच दिए गए। इसके माध्यम से 700 से 1 हजार करोड़ रुपए का गैर-व्यवहार होने का आरोप आव्हाड ने लगाया था। इसके बाद तत्कालीन विधानसभा के सभापति ने जांच के आदेश दिए थे। इस दौरान महानगरपालिका और म्हाडा अधिकारियों के बीच बैठक हुई। प्रकल्प की मंजूरी के बाद स्थिति की जानकारी न देने वाले निर्माण व्यवसायियों को नोटिस जारी किया गया। पहले चरण में 65 प्रकल्प सहित 52 लेआउट की जानकारी म्हाडा को मिली। 20 से 25 बिल्डरों ने जानकारी देने में टालमटोल की।

    अधिवेशन की पार्श्वभूमि पर रिपोर्ट

    नागपुर में शुरू शीत अधिवेशन में कोल्हापुर के विधायक समाधान आवताडे ने इस बारे में सवाल पूछे। इसके बाद जांच की रिपोर्ट अंतिम कर सरकार को भेजी जाएगी। महानगरपालिका ने विकास नियंत्रण नियमावली से 4000 चौरस मीटर और उससे अधिक क्षेत्र के निर्माण प्रकल्पों को अनुमति देते समय 20 प्रतिशत एलआईजी व एमआईजी जगह छोड़ी है या नहीं, इस बारे में म्हाडा की अनुमति जरूरी न होने की बात रिपोर्ट में कही गई है। बड़े प्रकल्पों के निर्माण के लिए अनुमति और निर्माण कार्य पूर्ण होने का दाखिला देते समय एलआईजी, एमआईजी की शर्तों का पालन किया गया है या नहीं? इस बारे में जांच की जाती है। समांतर यंत्रणा के रूप में कार्यरत म्हाडा को इस बारे में जानकारी देनी होती है।

    प्रकल्पों की आज की स्थिति

    नासिका महानगरपालिका पर आरोप लगाते समय एक एकड़ से आगे 105 प्रकल्प होने का दावा तत्कालीन गृहनिर्माण मंत्री आव्हाड ने म्हाडा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार लगाया था, परंतु प्रत्यक्ष में 4 हजार 50 मकानों के 79 प्रस्ताव महानगरपालिका को प्राप्त हुए हैं। इसमें भी म्हाडा के 1 हजार 202 मकानों के 8 प्रस्ताव हैं। म्हाडा ने 1 हजार 180 मकानों के 6 प्रस्ताव को उपयोग प्रमाणपत्र दिया। इसमें से दो प्रस्ताव को महानगरपालिका ने आंशिक उपयोग प्रमाण-पत्र दिया। आंशिक उपयोग प्रमाणपत्र दिए गए प्रस्ताव में 88 मकान हैं। 51 प्रस्तावों में 2 हजार 12 मकानों का कामकाज शुरू होने से अनुमति नहीं दी गई है।