Nashik Municipal Corporation
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    नासिक : शहर की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखते हुए भविष्य में पानी की किल्लत निर्माण न हो इसलिए किकवी बांध (Kikvi Dam) को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने 50 करोड़ रुपए का प्रावधान करने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके पहले तांत्रिक सलाहकार समिति ने वन विभाग (Forest Department) को जगह मुआवजा (Compensation) के रूप में 36.57 करोड़ रुपए देने की सूचना की है। नासिक शहर की पीने के पानी की जरूरत को ध्यान में रखते हुए त्र्यंबकेश्वर तहसील के ब्राह्मणवाडे परिसर में बांध प्रस्तावित है। डेढ़ हजार दशलक्ष घनफूट इस बांध की क्षमता होगी। राज्य सरकार ने 26 अगस्त 2009 में 283 करोड़ के खर्च को प्रशासकीय अनुमति दी है। इसके बाद 4 दिसंबर 2012 को सिंचाई विभाग के उत्तर महाराष्ट्र कार्यालय ने प्रस्ताव अनुमति दी है। परंतु, इसके बाद राज्य सरकार की नीति में बदलाव होने से बांध का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। गंगापुर बांध का पानी खेत के लिए आरक्षित रखा जाता है। तो मुकणे बांध से 1.5 टीएमसी पानी आरक्षित है।  तो दारणा बांध के आरक्षित पानी लेने के लिए कई समस्याएं है। इसलिए 2041 तक नासिक शहर को जलापूर्ति के लिए किकवी बांध आवश्यक है। 

    वन विभाग को देने होंगे 36 करोड़ रुपए

    राज्य सरकार ने 2022 और 2023 के वित्त बजट के वाइट बुक में किकवी बांध को शामिल किया है। बांध के लिए 50 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।  किकवी बांध का सुधारित प्रकल्प रिपोर्ट 2021 और 2022 के दर सूची के अनुसार तैयार किया गया है, जिसे जनवरी 2022 में राज्य सरकार के तांत्रिक सलाहकार समिति के सामने पेश किया है। तांत्रिक सलाहकार समिति ने बांध का निर्माण शुरू करने से पहले वन विभाग को 36.57 करोड़ रुपए जमा करने की सूचना की है। साथ ही गोदावरी मराठवाड़ा विकास महामंडल ने भी वन विभाग को रकम अदा करने के लिए निधि का प्रावधान करने का पत्र सरकार को दिया है। फिर भी सरकार ने अभी तक निर्णय नहीं लिया है। 

    केवल दिखावा साबित न हो किकवी बांध?

    गोदावरी सिंचाई विकास महामंडल ने 36 करोड़ रुपए वन विभाग को देने की सूचना के बाद भी कामकाज नहीं हुआ है। ऐसे में सांसद हेमंत गोडसे ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से मुलाकात करने के बाद मुख्यमंत्री ने वित्त बजट में 50 करोड़ रुपए का प्रावधान करने का आश्वासन दिया है। विकास की दृष्टि से यह आश्वासन सकारात्मक है, लेकिन तांत्रिक समस्या आगे आ रही है। वन विभाग को 36 करोड़ रुपए कौन अदा करेगा? महानगरपालिका को यह रकम देनी पड़ी तो? वह कहा से प्रावधान करेंगी? ऐसे कई सवाल खड़े हो रहे है। कुल मिलाकर किकवी बांध केवल दिखावा साबित न हो? यहीं अपेक्षा नागरिक कर रहे है।