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    नाशिक : नाशिक जिला परिषद (Nashik District Council) में पिछले पांच महीने से करीब 450 करोड़ के विकास कार्य (Development Work) ठप पड़े हुए हैं। उप कर कोष पर निर्णय न लेने से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 के खर्चे की योजना बनाकर भी समय पर इसकी स्वीकृति न देने वाले विभागों के पीछे यही कारण नजर आ रहे हैं। 

    प्रशासनिक कार्य प्रारंभ होने के प्रथम सप्ताह में अपर मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने निर्माण विभाग को जिला परिषद स्व-राजस्व यानि उप कर निधि में कार्य आवंटन में अनियमितता के कारण पुन: योजना बनाने के आदेश दिये थे। जानकारी सामने आ रही है कि पूर्व अध्यक्ष बाळासाहेब क्षीरसागर इसके लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी के लगातार संपर्क में हैं।  

    16 करोड़ विकास कार्यों की योजना

    निर्माण विभाग की ओर से उप कर से आठ करोड़ की धनराशि पुन: आवंटित करने के बाद स्वीकृति का प्रश्न अनुत्तरित रहा। नतीजा यह रहा कि मानसून से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों, स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की मरम्मत का काम नहीं हो सका। जल संरक्षण विभाग ने वर्ष 2022-23 के प्राप्त बजट के अनुसार 16 करोड़ के विकास कार्यों की योजना बनाई है। अगर इन कार्यों को अप्रैल में मंजूरी मिल जाती तो बांध की मरम्मत का काम मानसून से पहले किया जा सकता था और इससे जल संग्रहण बढ़ाने में मदद मिलती। जिला परिषद के अन्य विभागों ने भी मई में 413 करोड़ की योजनाओं को स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया। 

    योजना को अनुमोदन के लिए जिला योजना समिति के एक छोटे समूह के समक्ष रखा गया था, उस बैठक में विधायकों ने यह पूछकर मामला रद्द कर दिया कि योजना समिति को योजना समिति में क्यों लाया गया। जबकि वह जिला परिषद का था। फिर राज्य में सत्ता हस्तांतरण के बाद विकास कार्यों को स्थगित करने का निर्णय लिया गया। अब निर्माण विभाग ने पन्द्रहवें वित्त आयोग की निधि से स्वीकृत कार्य आवंटन की जांच के लिए संभागायुक्त को पत्र दिया है। जिला परिषद के सेस फंड के खर्च में अनियमितता की बात सामने आ रही है। सरकार ने सेस फंड खर्च करने के लिए मानदंड और नियम तय किए हैं। लेकिन निधि व्यय का स्थानीय स्तर पर कोई अंकेक्षण नहीं होता है, ऐसे में सवाल उठा है कि सेस फंड से क्या खर्चा हुआ है।