Nashik Municipal Corporation
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    -संतोष भारस्कर

    नाशिक: आगामी नाशिक महानगरपालिका चुनाव (Nashik Municipal Election) के मद्देनजर पर भाजपा-मनसे (BJP-MNS) में युति और राज्य की महाविकास आघाड़ी का फार्मूला स्थानीय स्तर पर नहीं चलने वाला है, लेकिन संबंधित राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता युति और फार्मूला कार्यान्वित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आज की स्थिति में सभी राजनीतिक दल अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। पिछले दो चुनाव से पहले भाजपा की मदद से मनसे ने मनपा की सत्ता हासिल की थी। इसके पहले शिवसेना (Shiv Sena) और भाजपा ने युति बनाकर चुनाव लड़ते हुए मनपा की सत्ता हासिल की थी। कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस (Congress-NCP)ने भी मनपा की सत्ता हासिल की है। चुनाव के बाद एक-दूसरे के सामने चुनौती देने वाले राजनीतिक दल एक-दूसरी की मदद से सत्ता हासिल करते हैं। फिर भी इस बार युति-महाविकास आघाड़ी को लेकर निर्णय नहीं हुआ है। 

    भाजपा पिछले 10 सालों में समाज के हर घटक तक पहुंच गई है। फिर भी शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने भाजपा को कड़ी चुनौती देने का षडयंत्र रचना शुरू कर दिया है, इसलिए भाजपा ने भी मनसे के साथ युती करने के लिए प्रयास कर दिए हैं। मनसे अकेले मनपा चुनाव लड़ना चाहती है, लेकिन उन्हें किसी न किसी राजनीतिक दल से हाथ मिलाना ही होगा। ऐसा प्रयोग भाजपा के साथ पहले होने से मनसे भी भाजपा के साथ युती के लिए तैयार है। 

    सीट बंटवारे को लेकर एकमत नहीं हो रहीं पार्टियां

    शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महाविकास आघाड़ी की सत्ता राज्य में है, लेकिन वह महानगरपालिका चुनाव के लिए आघाड़ी करने के लिए तैयार नहीं है। चुनाव के बाद सत्ता के लिए महाविकास आघाड़ी करने पर विचार किया जा रहा है। यह तीनों राजनीतिक दलों की स्पर्धा केवल भाजपा के साथ ही है, लेकिन उनके एक-दूसरे के साथ अच्छा संबंध है, ऐसा नहीं है। महानगरपालिका चुनाव में महाविकास आघाड़ी एक साथ मैदान में उतरने की चर्चा थी, लेकिन इसके लिए स्थानीय नेता तैयार नहीं है। सबसे अहम मुद्दा सीट वितरण का है? इस पर किसी का भी एकमत नहीं हो रहा है। युति-आघाड़ी की भाषा बोलने वाले अंदर से खुद के बलबूते पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। महाविकास आघाड़ी में शामिल शिवसेना की स्थिति आज मजबूत है। ऐसे में आघाड़ी हुई तो शिवसेना को अधिक सीट देने होंगे। ऐसी ही स्थिति भाजपा और मनसे की है। भाजपा-मनसे में युति होने के बाद मनसे को कितने सीट देती है? यह भी एक मुद्दा है। इसलिए आगामी मनपा चुनाव में राजनीतिक दलों में युती और आघाड़ी होने की संभावना कम है।

    शिवसेना, भाजपा कर रहीं जोरदार तैयारी

    आगामी मनपा चुनाव में सत्ता हासिल करने के लिए सभी राजनीतिक दलों को संघर्ष करना होगा। किसी भी हालत में मनपा की सत्ता हासिल करने के लिए शिवसेना और भाजपा जोरदार तैयार कर रही है। चुनाव नतीजों के बाद कोई भी राजनीतिक दल किसी के साथ भी युति या आघाड़ी कर सकता है। राज्य में सत्ता के लिए अलग समीकरण है, लेकिन मनपा की सत्ता हासिल करने के लिए अलग समीकरण हो सकते हैं। महानगरपालिका चुनाव में मिले सीट के आधार पर महापौर, उपमहापौर, स्थायी समिति सभापति, स्वीकृत नगरसेवक, स्थायी समिति सदस्य सहित अन्य विषय समिति का वितरण होगा इसलिए युति-आघाड़ी के साथ अन्य मेल हो सकता है, लेकिन चुनाव में जीत के लिए कड़ा संघर्ष देखने को मिलेगा। इस चुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ छोटे राजनीतिक दल, संगठन के निर्वाचित सदस्य, निर्दलीय विजेता के रूप में सामने आ सकते है। साथ ही यह घटक किंगमेकर की भूमिका में भी रह सकते हैं।