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Plastic factory in Malegaon: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पर्यावरण को भारी नुकसान का हवाला देते हुए 2019 में नासिक (Nashik) के मालेगांव (Malegaon) शहर के 220 प्लास्टिक फैक्ट्रियों (Plastic factory) को बंद करने का आदेश (Order) दिया था। इस आदेश के बावजूद 100 से अधिक प्लास्टिक फैक्ट्रियां बिना अनुमति के धड़ल्ले से चल रही हैं। इन प्लास्टिक फैक्ट्रियों में 100 प्रतिशत मुफ्त बिजली का उपयोग किया जा रहा है।  राजनीतिक दबदबे के कारण इन फैक्ट्रियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने की खबर है। हैरानी की बात यह है कि अवैध रूप से चल रही इन प्लास्टिक फैक्ट्रियों को कागज पर ‘सील’ दिखाया गया है। लेकिन ये फैक्ट्रियां अभी भी अवैध रूप से चल रही हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि जब इस संबंध में शिकायतें मिलती हैं तो महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम नासिक से मालेगांव तक निरीक्षण के लिए जाती है। उस समय तक इन फैक्ट्रियों को बंद रखा जाता है। चूंकि टीम के आगमन की पूर्व सूचना विधिवत संबंधितों तक पहुंच जाती है, इसलिए केवल निरीक्षण कार्य ही किया जाता है। इसके तुरंत बाद कारखाने बिना किसी समस्या के काम करना जारी रखते हैं।  खासकर रात में फैक्ट्रियां पूरी क्षमता से चलाई जा रही हैं। 

मालेगांव में 220 अनधिकृत प्लास्टिक फैक्ट्रियों में से 100 से अधिक अभी भी काम कर रही हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद 220 प्लास्टिक फैक्ट्रियों की बिजली काट दी गई।  बिजली निगम ने यह कार्रवाई उस समय की थी। कुछ फैक्ट्रियां दूसरे क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गई है। इन फैक्ट्रियों में मोल्डिंग का काम किया जाता है। कुछ फैक्ट्रियां ऐसी भी हैं जो अपशिष्ट प्लास्टिक को ‘प्रोसेस’ करती हैं। बिजली चोरी करते पाए जाने पर मुकदमा दर्ज कराया जाता है। मुकदमों के बाद जुर्माना बढ़ोतरी का बिल भी बने तो बिजली चोरों को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि वे बिल का भुगतान नहीं करना चाहते। इसके अलावा पुलिस कार्रवाई न होने से ये बिजली चोर बेखौफ हो गए हैं। बड़े पैमाने पर और अंधाधुंध बिजली चोरी को रोकने के लिए व्यापक राजनीतिक और पुलिस इच्छाशक्ति की आवश्यकता है।