नाशिक : सरकारी कामकाज (Government Work) के समय आने वाला तनाव (Tension) और आक्रामक मानसिकता (Aggressive Mentality) के चलते कुछ साल पहले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों (Officers-Employees) पर लगातार हमले हो रहे थे, लेकिन अब यह हमले कम हो गए है। पिछले 5 सालों की तुलना में बहुत ही कम ऐसे मामले सामने आने से सरकारी अधिकारी-कर्मचारी सुरक्षित होने की बात स्पष्ट हो गई है।
बता दे कि सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों को गाली गलौज होती थी। कई-कई बार तो हमले भी होते थे। सबसे अधिक हमले पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों पर होते थे। दरमियान बॉडी कैमेरे, पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरे सहित तनाव विरहित कार्यपद्धती, जनजगृति के चलते हमलों का प्रतिशत कम हो रहा है। अब सरकारी अधिकारी-कर्मचारी अपने कार्य स्थल पर सुरक्षित महसूस कर रहे है। सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों पर हमला करने के मामले में न्याय प्रविष्ठ मामलों की सुनवाई होने के बाद 5 संदिग्ध आरोपियों को सजा सुनाई गई। भारतीय दंड विधान कलम 353 के अंतर्गत लोक सेवक पर हमला करने पर फौजदारी प्राप्त बल प्रयोग करने का मामला दर्ज होता है।
वर्ष | जांच पूर्ण | सरकारी कर्मचारियों पर हुए हमले |
2017 | 23 | 24 |
2018 | 74 | 76 |
2019 | 71 | 72 |
2020 | 38 | 39 |
2021 | 24 | 25 |
2022 | 7 | 7 |
2022 में हुई संदिग्ध आरोपियों को सजा
यातायात पुलिसकर्मी पर हमला करने के मामले में संदिग्ध आरोपी गणेश बाबूराव फफाले, विकास माणिक लोणारे, राजेंद्र बलीलराम सोनवणे, सुनील धनु जाधव, राजेंद्र बलीराम सोनवणे, सुनील छबुराव नागर आदि आरोपी को सजा हो चुकी है।