नाशिक : नाशिक जिला परिषद (Nashik District Council) ने विकास कार्य को मान्यता देकर निधि की मांग न करने के बाद भी आदिवासी विकास विभाग (Tribal Development Department) ने जिला नियोजन समिति (District Planning Committee) के माध्यम से हर एक कार्य के लिए 10 प्रतिशत ऐसे 4.80 करोड़ रुपए (Rs 4.80 Crore) का निधि वितरित किया। यानी की जिला परिषद (District Council) के जलसंधारण विभाग के 4.8 करोड़ रुपए के कार्य जिला परिषद को अंधेरे में रखते हुए मंजूर करने का अजीबो गरिब कार्य आदिवासी विकास विभाग ने किया। साथ ही संबंधित विकास कार्य (Development Works) की सूची भी विभाग ने जिला परिषद को दी।
4.80 करोड़ रुपए का निधि वितरित किया गया
बता दे, कि ग्रामीण क्षेत्र में विकास कार्य की जिम्मेदारी नाशिक जिला परिषद पर है। इसलिए सरकार द्वारा निश्चित किए गए प्राधान्यक्रम, नियम, कार्य की जरूरत और भौगोलिक क्षेत्र को देखते हुए नाशिक जिला परिषद नियोजन प्रस्ताव तैयार करता है। संबंधित कार्य के लिए मंजूर निधि के तहत प्रस्ताव में शामिल कार्य को प्रशासकीय अनुमति देकर उसके लिए जिला नियोजन समिति के पास निधि के लिए प्रस्ताव भेजा जाता है। जिला नियोजन समिति द्वारा निधि वितरित करने के बाद टेंडर प्रक्रिया कार्यान्वित करते हुए कार्य का आदेश जारी किया जाता है। प्रशासकीय अनुमति के बजाए केवल लेखाशीर्ष निहाय निधि वितरित किया जाता है। परंतु आदिवासी विकास विभाग ने कार्य की एक सूची जिला परिषद के जलसंधारण विभाग को भेजते हुए संबंधित प्रत्येक कार्य के लिए 10 प्रतिशत इस तरह 4.80 करोड़ रुपए का निधि वितरित किया गया। जिला नियोजन समिति ने कार्य पद्धति से बाहर जाकर यह कार्य करने का आरोप किया जा रहा है। इस पर स्थानीय लेखा परीक्षण में आक्षेप लिया जा सकता है। साथ ही संबंधित क्षेत्र के विधायकों ने कार्य को प्रशासनिक अनुमति देने की जानकारी प्रशासन को देने से जिला परिषद प्रशासन की समस्या बढ़ गई है।
जिला परिषद को ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा
इसके पहले 2017 में आदिवासी विकास विभाग ने सड़क निर्माण के लिए 21 करोड़ रुपए का निधि जिला परिषद को वितरित किया था। साथ ही प्रशासनिक अनुमति देने का अधिकार न होने के बाद भी पूर्व जिलाधिकारी ने संबंधित कार्य को अनुमति दी थी। आदिवासीबहुल तहसील के दायित्व का प्रमाण बढ़ाकर हर साल मंजूर निधि से कार्य पूर्ण करने के लिए उसका उपयोग किया जाता है। इसलिए नाशिक जिला परिषद के प्रस्ताव में शामिल कार्य को मंजूरी नहीं दी जाती है। निधि मंजूर होने के बाद प्रशासकीय अनुमति नहीं दी जाती है। फिर भी जिला परिषद को ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके चलते जिला परिषद को आर्थिक अनियमितता की कार्रवाई का सामना करना होगा।