The government took care of women risking their lives for water, built an iron bridge in a hurry
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    त्र्यंबकेश्वर : तहसील के खरखेत ग्राम पंचायत (Kharkhet Gram Panchayat) के तहत आने वाले पाडा की महिलाओं द्वारा मौत के मुंह से पीने का पानी (Drinking Water) लाने की खबर कई समाचार पत्रों की सुर्खियां बनीं। जिसके बाद नींद से जागे जिला परिषद प्रशासन (District Council Administration) ने 30 फीट गहरी खाई पर पुल (Bridge) बनवाया है। साथ ही नल के जरिए पीने का पानी देने की व्यवस्था की जा रही है। इसमें  3 महीने का वक्त लगेगा। महिलाओं (Womens) ने पुल का पूजन किया है। 

    गौरतलब है कि खरखेत ग्राम पंचायत परिसर में 12 पाड़ा है। यहां के लगभग सभी परिवार खेती के लिए पाड़ा से देढ़ किलोमीटर दूर तास नदी के तट पर रहते है। 25 आदिवासी बस्ती में 300 से अधिक परिवार है। यहां की महिलाओं को हर दिन मौत के मुंह से पीने का पानी लाना पड़ता था। ये महिलाएं खाई में बनाई गई लकड़ी के पुल को पार कर पानी लाती थी। कई ग्रामीण इस खाई में गिर चुके है। सरकार की कई योजनाएं गांव के लिए आती है, लेकिन इन बस्ती तक नहीं पहुंचती है। यह इन आदिवासियों का दुर्भाग्य है। 

    नदी के नजदीक खेती, फिर भी बारिश के पानी पर होती है खेती

    वहीं लड़की से चलकर विद्यार्थी हरसुल, पेठ आदि परिसर में शिक्षा के लिए जाते है। बस्ती की ओर आने के लिए सावरपाडा-शेंद्रीपाडा सड़क आवश्यक है। सावरपाडा से हरसुल को जाने के लिए 40 रुपए लगते है। यह सड़क बनने पर 20 रुपए किराया लगेगा। परिसर के अन्य नदी पर पुल का निर्माण किया गया है, लेकिन तास नदी पर पुल न बनाने से समस्या कम नहीं हो रही है। नदी के नजदीक खेती है, लेकिन बिजली की व्यवस्था न होने से पानी लेने के लिए मोटर का उपयोग नहीं किया जा सकता। बारिश की पानी पर ही खेती की जाती है। 

    यह खबर समाचार पत्रों में प्रकाशित होते ही जिले के पालकमंत्री छगन भुजबल, पर्यावरणमंत्री आदित्य ठाकरे, जलापूर्ति और स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटिल सहित अन्य जनप्रतिनिधि और जिला परिषद प्रशासन गहरी नींद से जागी। इसके बाद प्रशासन ने गहरी खाई पर पुल का निर्माण कराया। साथ ही ग्रामीणों को पीने का पानी नल के माध्यम से देने के लिए प्रयास शुरू किए गए है। 3 माह के बाद नल के माध्यम से ग्रामीणों को पानी मिलेगा अब महिलाओं को मौत के मुंह से पानी लाने की नौबत नहीं आएग।