NIA Pune Terror Module Case

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मुंबई: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश में शामिल होने के आरोपी आईएसआईएस के सात सदस्यों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। एक अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि पुणे स्थित आईएसआईएस मॉड्यूल मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, शस्त्र अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मुंबई में एनआईए की विशेष अदालत के समक्ष सातों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया है।

जिन आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है, अधिकारी ने उनकी पहचान मध्य प्रदेश के रतलाम निवासी मोहम्मद इमरान-मोहम्मद यूसुफ खान उर्फ ​​’मटका’ उर्फ ​​’आमिर अब्दुल हमीद खान’ और मोहम्मद यूनुस-मोहम्मद याकूब साकी उर्फ ​​’आदिल’ उर्फ ​​’आदिल सलीम खान’, महाराष्ट्र के पुणे के कोंडवा निवासी कदीर दस्तगीर पठान उर्फ ​​’अब्दुल कदीर’ और सीमाब नसीरुद्दीन काजी तथा ठाणे के पडघा के रहने वाले जुल्फिकार अली बड़ौदावाला उर्फ ​​’लालाभाई’ उर्फ ​​’सैफ’, शमिल साकिब नाचन एवं आकिफ अतीक नाचन के रूप में की।

एनआईए प्रवक्ता ने बताया कि आरोपी इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (आईएसआईएस) की आतंकवादी और हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा देने के इरादे से धन इकट्ठा करने में शामिल थे। प्रवक्ता के मुताबिक, यह पाया गया कि आरोपियों ने आतंकवादियों के लिए प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए, ज्ञात एवं वांछित आतंकवादियों को शरण दी और आईईडी के निर्माण में मदद की। उन्होंने कहा, “इसके अलावा आरोपियों के पास से आईईडी, आग्नेयास्त्र और गोला-बारूद भी बरामद किया गया।”

प्रवक्ता ने कहा कि आरोपियों ने लोगों के बीच दहशत पैदा करने और भारत की सुरक्षा, अखंडता एवं संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने के इरादे से आईएसआईएस की आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने की साजिश रची थी। उन्होंने कहा, “जांच में अंतरराष्ट्रीय संबंध और मौजूदा मामलों में विदेश-आधारित आईएसआईएस आकाओं की संलिप्तता के साथ एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ। जांच में भारत लोगों के एक जटिल नेटवर्क का भी भंडाफोड़ हुआ।”

प्रवक्ता ने बताया कि इस नेटवर्क के तहत आरोपियों ने आईएसआईएस के स्वयंभू खलीफा के प्रति वफादारी की शपथ भी ली। उन्होंने कहा, “आरोपियों का इरादा भारतीय सरजमीं पर आतंकवादी वारदातों को अंजाम देना था। उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना और कई अन्य राज्यों में व्यापक टोही मिशन चलाए। उनका मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष बड़ा खतरा पैदा करना और आईईडी लगाने एवं विस्फोट करने के संभावित लक्ष्यों की पहचान करना था।” प्रवक्ता के मुताबिक, संभावित विस्फोटों के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए उनके पास विस्तृत योजना थी।

उन्होंने कहा, “भागने की योजना के हिस्से के तहत इन आरोपियों ने दूरदराज के घने जंगलों को संभावित ठिकानों के रूप में चुना था और उपयुक्त स्थान की तलाश के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था।” उन्होंने कहा, “आरोपियों के अपने आतंकवादी मंसूबों और साजिशों को वित्तपोषित करने के लिए भारत और विदेश दोनों जगह से विभिन्न स्रोतों से धन इकट्ठा करने की बात भी सामने आई है।”

शुरू में यह मामला 19 जुलाई को दर्ज किया गया था, जिसमें भारतीय दंड संहिता, शस्त्र अधिनियम और महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम, 1951 की विभिन्न धाराएं शामिल थीं। इसके बाद, 30 अगस्त को एनआईए ने गहन जांच के लिए मामले को अपने हाथ में ले लिया। मामले के आठवें आरोपी मोहम्मद शाहनवाज आलम को प्रतिबंधित विदेशी आतंकवादी संगठन की आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने में कथित संलिप्तता को लेकर गत दो नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। (एजेंसी)