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    पिंपरी: दिवंगत कर्मचारियों के वारिसों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने का प्रावधान है। मगर पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) में अनुकंपा रोजगार के पात्र होने के बावजूद कर्मचारियों के 12 वारिसों को उनके सही रोजगार (Employment) से वंचित होना पड़ रहा है। असल में ये लाभार्थी अपनी माता-पिता की तीसरी संतान हैं। इन महानगरपालिका कर्मचारियों की मौत के बाद पता चला है कि संबंधित कर्मचारी के तीन बच्चे हैं।

    महानगरपालिका की सेवा में कार्यरत कर्मचारी की मौत हो होने की सूरत में उनके उत्तराधिकारी को अनुकंपा के आधार पर महानगरपालिका की सेवा में लिया जाता है। यदि मृत शासकीय सेवक के पात्र वारिस बालिग नहीं है तो उसे अनुकम्पा आधार पर नियुक्ति के लिए बालिग होने के एक वर्ष के भीतर आवेदन करना होगा। उन्हें मृत कर्मचारी के स्थान पर नौकरी में शामिल किया जाता है। हालांकि, 2017 में, सरकार ने एक आदेश जारी किया कि 31 दिसंबर, 2001 के बाद तीसरे बच्चे वाले कर्मचारी के परिवार को अनुकंपा नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जाएगा। सरकार के नए फैसले से महानगरपालिका के 12 दिवंगत कर्मचारियों के वारिसों को गहरा धक्का लगा है।

    नौकरी की मांग कर रहे हैं वारिस

    परिणामस्वरूप अनुकंपा की नौकरी के लिए आवेदन कर पात्र होने के बावजूद इन उत्तराधिकारियों को महानगरपालिका में नौकरी नहीं मिलती है। इससे मृतक के परिवार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। दिवंगत कर्मचारियों के वारिस महानगरपालिका में आकर नौकरी की मांग कर रहे हैं। हालांकि सरकार के आदेश के चलते प्रशासन की इच्छा के बावजूद उन्हें महानगरपालिका की सेवा में नहीं लिया जा सकता है। अनंत पिसाल, अशोक पवार, बालकृष्ण पाटेकर, रवि पल्ले, सखाराम डोलस, ज्ञानेश्वर आंबेकर, राजू कावले, उत्तम चापटे, भारत गायकवाड़, भरत कुमार गायकवाड़, दशरथ अर्बेकर मनपा के अंतर्गत विभिन्न विभागों में कार्यरत थे जिनकी मृत्यु हो गई। अनिल बनसोडे लाड़ पागे के तहत सेवानिवृत्त हुए। हालांकि, 2001 के बाद उनकी तीसरी संतान होने के कारण, उनके उत्तराधिकारियों को अनुकंपा रोजगार के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया है।

    अधिकारी ने बताया ये कारण

    इस बारे में महानगरपालिका प्रशासन विभाग के सहायक आयुक्त बालासाहेब खांडेकर ने कहा कि महानगरपालिका सेवा के कर्मचारियों की मृत्यु के बाद, उनके पात्र वारिसों को सेवा में लिया जाता है। हालांकि, राज्य सरकार द्वारा 2017 में जारी आदेश के कारण, संबंधित मृतक कर्मचारी के 2001 के बाद तीन बच्चे होंगे, उन्हें सेवा में नहीं लिया जा सकता है। इसलिए 12 कर्मचारियों के वारिसों को महानगरपालिका की सेवा में नहीं लिया जा सकता।