oldest evidence of culture before Mohenjodaro found in Rakhigarhi Hisar Haryana
राखीगढ़ी में उत्तरी हड़प्पा संस्कृति के साक्ष्य

Loading

शैलेंद्र सिंह @ नवभारत 

  • अब तक 4000 साल पुराने मिले थे साक्ष्य 
  • भारतीय पुरातत्व विभाग और डेक्कन कॉलेज, पुणे के शोधकर्ताओं के लिए बड़ी सफलता

पुणे/हिसार: हरियाणा (Haryana) में हिसार (Hisar) के पास  राखीगढ़ी (Rakhigarh) में 8,000 साल पहले की मानव बस्ती के प्रमाण मिले हैं। दिल्ली में भारतीय पुरातत्व विभाग (Indian Archaeological Department) और पुणे में डेक्कन कॉलेज (Deccan College Pune) के शोधकर्ताओं द्वारा इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। राखीगढ़ी पर अब तक तीन शोधकर्ता भारतीय पुरातत्व विभाग के डॉ. अमरेंद्र नाथ, डेक्कन कॉलेज के प्रोफ़ेसर वसंत शिंदे की टीम और भारतीय पुरातत्व विभाग और डेक्कन कॉलेज के डॉ प्रबोध शिरवलकर शोध कर चुके हैं।

शोध और उत्खनन अब भी जारी 

पहला शोध भारतीय पुरातत्व विभाग के डॉ. अमरेंद्र नाथ (Dr. Amarendra Nath) ने किया था। उस समय राखीगढ़ी में उत्तरी हड़प्पा संस्कृति के साक्ष्य मिले थे। वह समय ढाई हजार वर्ष  ईसा पूर्व था। उसके बाद पुणे के डेक्कन कॉलेज के प्रोफेसर वसंत शिंदे की टीम ने हाल के दिनों में शोध किया। इसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली। शोधकर्ताओं के मुताबिक यह संस्कृति 4 हजार साल से भी पुरानी हो सकती है। इसके कुछ प्रमाण पत्र भी मिले, जिसके बाद उन्होंने साक्ष्य इकट्ठा करना शुरू किया। इसके बाद पिछले दो साल से भारतीय पुरातत्व विभाग और डेक्कन कॉलेज के डॉ प्रबोध शिरवलकर ने मिलकर राखीगढ़ी पर काम करना शुरू किया।

तीन भागों में बटी है हड़प्पा संस्कृति 

डेक्कन कॉलेज के प्रोफेसर शिरवलकर पिछले दो साल से राखीगढ़ी पर शोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हड़प्पा संस्कृति के तीन भाग हैं। पूर्वी हड़प्पा, मध्य हड़प्पा और उत्तरी हड़प्पा (आधुनिक) दो पूर्व उत्खननों में मध्य और आधुनिक मानव संस्कृतियों के साक्ष्य मिले हैं। 4 हजार सालों तक के काल के प्रमाण मिले हैं। उन्होंने कहा कि जो साक्ष्य मिले हैं, उनके अनुसार यह संस्कृति लगभग 7 से 8 हजार वर्ष पुरानी है। उनके द्वारा किये गये कार्य की अंतिम रिपोर्ट प्रगति पर है। लेकिन इस पर भी शोध जारी रहेगी।

8 हजार वर्ष पहले के और आज मौजूद इंसानों के डीएनए समान

क्या 7 से 8 हजार साल पहले के आदमी और आज के आदमी में कोई अंतर है, क्या उसके डीएनए में कोई बदलाव आया है? इस सवाल पर प्रो शिरवलकर ने बताया कि आठ हजार साल पहले और राखीगढ़ी में वर्त्तमान में मौजूद इंसानों के डीएनए एक जैसे ही हैं। उन्होंने कहा कि राखीगढ़ी में उत्खनन में एक बड़ी कब्रगाह मिली। और जब उन मानव अवशेषों का गहन परीक्षण किया गया तो पता चला कि मौजूदा समय के राखीगढ़ी के लोगों के और तब के लोगों के डीएनए सामान ही हैं। उत्खनन में पशुओं के भी अवशेष मिले हैं।

धातुओं के आभूषण, मिट्टी के बर्तन और योगासन  के मिले सबूत 

इस स्थान पर सोने, चांदी और तांबे से बने आभूषण भी पाए गए हैं। सुंदर मिट्टी के बर्तन भी मिले हैं. मिट्टी के बर्तनों पर डॉ. शिरवलकर ने विशेष शोध किया है और उनकी रिपोर्ट अंतिम चरण में है। शोध में इस बात के प्रमाण भी मिले हैं कि 7 से 8 हजार साल पहले भी लोग योग करते थे. क्योंकि उस समय के कुछ मुद्राओं पर योग मुद्रा में बैठे महिलाओं और पुरुषों की तस्वीरें मिली हैं। इनमें बाघ, गैंडा, बैल और हाथियों की तस्वीरें भी हैं। 

2 से 6 बेडरूम वाले मिले घर 

शोधकर्ता शिरवलकर ने बताया कि हमारा मानना है कि बेडरूम, हॉल किचन शब्द हाल के दिनों में पैदा हुए हैं. लेकिन राखीगढ़ी में अब तक का सबसे बड़ा प्राचीन शहर मिला है। 2 से 6 बेडरूम वाले घरों की एक बड़ी बस्ती ज़मीन के नीचे दबी पाई गई. इसमें एक आंगन, जल निकासी व्यवस्था भी मिली। उस समय के लोगों को कपड़ों के फैशन के बारे में भी पता था. उत्खनन में एक रंग-बिरंगा कपड़ा और एक शॉल भी मिला है।

अब तक चार से साढ़े चार हजार साल पहले की सबसे पुरानी मानव बस्ती के साक्ष्य मिले थे। तीसरे शोध में इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि हड़प्पा सभ्यता 7 से 8 हजार साल पुरानी है। अब भारतीय पुरातत्व विभाग और डेक्कन कॉलेज के विशेषज्ञ मिलकर इस पर काम किया है। 8 हजार वर्ष पूर्व मानव बस्ती थी, इस पर अब सभी एकमत हुए हैं।

                                                                              कोट: प्रोफेसर डॉ. प्रबोध शिरवलकर, डेक्कन कॉलेज, पुणे