Transfer

    Loading

    पिंपरी: राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद जैसा कि तय माना जा रहा था सोमवार को पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) के कमिश्नर राजेश पाटिल (Commissioner Rajesh Patil) का अचानक ट्रांसफर (Transfer) कर दिया गया।  उनकी जगह सातारा जिले के जिलाधिकारी शेखर सिंह की नियुक्ति की गई है। राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव नितिन गद्रे इस तबादले के आदेश जारी किया है। बहरहाल राज्य सरकार के इस आदेश से महानगरपालिका के गलियारों में खलबली मच गई है।

    ओड़िसा कैडर के राजेश पाटिल 2005 बैच के आईएएस अधिकारी है। अंतरराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर महाराष्ट्र में आने के बाद 15 फरवरी 2021 को उनकी पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के कमिश्नर नियुक्त किए गए। 

    पाटिल की पर्यटन विकास महामंडल के प्रबंध निदेशक पद पर नियुक्ति

    लोकनियुक्त जनप्रतिनिधियों का पंचवर्षीय कार्यकाल समाप्त होने के बाद वे बतौर प्रशासक महानगरपालिका की बागडोर संभाले हुए थे। अभी यहां नियुक्त हुए डेढ़ साल का ही समय बीता की आज अचानक उनका ट्रांसफर कर दिया गया। उनकी जगह सातारा के जिलाधिकारी शेखर सिंह को कमिश्नर नियुक्त किया गया है। राजेश पाटिल की पर्यटन विकास महामंडल के प्रबंध निदेशक पद पर नियुक्ति की गई है।

    नई सरकार आने से तय था तबादला! 

    राज्य में महाविकास आघाड़ी की सरकार जाने और नई शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के बाद से यह तय माना जा रहा था कि पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका के कमिश्नर राजेश पाटिल का ट्रांसफर होगा। उसकी वजह भी कुछ ऐसी ही थी। महानगरपालिका में बीजेपी की सत्ता थी और तत्कालीन कमिश्नर श्रावण हार्डिकर के तबादले के बाद राजेश पाटिल की यहां नियुक्ति की गई। वे शुरू से ही सत्ता में वापसी के सपने संजोए बैठी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता अजीत पवार की आंखों का तारा बने रहे। जैसे हार्डिकर पर बीजेपी का स्टैम्प था वैसे ही पाटिल पर एनसीपी का स्टैम्प लग गया। वे शुरू से ही बीजेपी की आंखों में खटकते रहे। हालांकि एनसीपी के स्थानीय नेता भी पाटिल को कुछ खास पसन्द नहीं करते थे, लेकिन वे अजीत पवार के चहेते रहने से सभी चुप्पी साधे रहे।

    कई फैसले विवादित भी साबित हुए

    बीजेपी की आंखों में शुरू से खटकते रहे राजेश पाटिल की कुर्सी शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता आने के बाद से ही डोलने लगी थी। यह तय माना जा रहा था कि उनका तबादला होगा, ठीक उसी प्रकार से आज उनका तबादला कर दिया गया। यहां नियुक्ति के बाद उन्होंने स्वच्छता, अतिक्रमण निर्मूलन, तृतीय पंथियों के उत्थान के लिए उन्होंने काफी सराहनीय काम किए। हालांकि उनके कई फैसले विवादित भी साबित हुए। उन्होंने अतिक्रमण और अवैध निर्मूलन अभियान में किसी की नहीं सुनी, तब से ही उनके प्रति नाराजगी बढ़ने लगी। महानगरपालिका के लिए नई प्रशासकीय इमारत के लिए 312 करोड़, मशीनरी से सड़कों की सफाई के लिए 328 करोड़ रुपए के टेंडर और वाईसीएम समेत महानगरपालिका के अस्पतालों में चिकित्सा शुल्कों में बढ़ोतरी जैसे कई टेंडर और फैसले विवादों में घिरे रहे।