पुरानी बीमारियों से पीड़ितों को मिलेगी 15 हजार की वित्त सहायता

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    पिंपरी: पुरानी बीमारियों, हादसों में चोट लगने और प्राकृतिक आपदा से जूझ रही लोगों को जल्द ही ‘अमीर’ महानगरपालिका से ‘सार्थक’ राहत मिलेगी। कोरोना (Corona) जैसे  वायरस से होने वाली विभिन्न बीमारियों, बढ़ती महंगाई, अत्याधुनिक चिकित्सा सेवाओं और सुविधाओं के इलाज की लागत को ध्यान में रखते हुए पांच हजार रुपए की बजाय 15 हजार रुपए की वित्तीय सहायता (Financial Help) देने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार, राज्य सरकार से अनुरोध किया जाएगा कि पिंपरी-चिंचवड़ महानगरपालिका (Pimpri-Chinchwad Municipal Corporation) को पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट को 25 लाख रुपए के बजाय 50 लाख रुपए का अनुदान देने की अनुमति दी जाए। राज्य सरकार की मंजूरी के बाद ही गरीब मरीजों (Poor Patients) को 15 हजार रुपए तक की आर्थिक सहायता देने का रास्ता साफ होगा।

    पिंपरी चिंचवड़ महानगरपालिका की स्थापना 11 अक्टूबर 1982 को हुई थी। महज 40 वर्षों में तेजी से हो रहे शहरीकरण और बढ़ते शहरीकरण के मापदंड के आधार पर ‘अमीर’ महानगरपालिका को ‘बी’ वर्ग में तब्दील कर दिया गया। पिंपरी चिंचवड़ महानगर, जिसे कॉस्मोपॉलिटन सिटी के नाम से जाना जाता है, जिसकी आबादी 2.5 मिलियन है। सर्वश्रेष्ठ शहर के रूप में सम्मानित पिंपरी चिंचवड़ अब ‘स्मार्ट सिटी’ बनने की ओर अग्रसर है। बढ़ती जनसंख्या ने कई सामाजिक-आर्थिक समस्याएं भी पैदा की हैं। चिकित्सा देखभाल प्रमुख मुद्दों में से एक है। महानगरपालिका हर साल चिकित्सा विभाग पर करोड़ों रुपए खर्च करता है। नौ अस्पतालों सहित 28 औषधालयों में हजारों मरीजों का इलाज किया जाता है। हालांकि निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या भी काफी है।

    आर्थिक मदद के लिए आते हैं लोग

    पुरानी बीमारियों से पीड़ित और दुर्घटनाओं के कारण विस्थापित होने वाले कई मरीज आर्थिक तंगी के कारण महानगरपालिका पदाधिकारियों के पास दौड़े चले आते हैं।  कई पूर्व और मौजूदा जन प्रतिनिधि उदारता से मदद करते हैं। हालाँकि, वित्तीय बाधाओं के कारण महानगरपालिका ने 4 सितंबर 1991 को पिंपरी-चिंचवड़ म्युनिसिपल पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। इसका उद्देश्य चिकित्सा उपचार, प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित आपदाओं का वित्तपोषण करना था। चैरिटी कमिश्नर के पास पंजीकृत इस संस्था की अध्यक्षता महापौर को सौंपी गई। ट्रस्ट में उप महापौर (उपाध्यक्ष), संयुक्त आयुक्त (सचिव), मुख्य लेखाकार (कोषाध्यक्ष), स्थायी समिति के अध्यक्ष, विधान समिति के अध्यक्ष, सदन के नेता, मुख्य लेखा परीक्षक और सहायक खेल आयुक्त शामिल हैं।

     पांच हजार रुपए की मदद नाकाफी 

    राज्य शहरी विकास विभाग के दिनांक 18 दिसम्बर 2007 के निर्णय के अनुसार पिंपरी-चिंचवड़ म्युनिसिपल पब्लिक चैरिटेबल ट्रस्ट को प्रतिवर्ष 25 लाख रुपए का अनुदान दिया जाता है। शहर में हृदय रोग, वक्रता, गुर्दा और मस्तिष्क रोग जैसे विभिन्न पुराने रोगों से पीड़ित रोगियों, दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल मरीजों और प्राकृतिक आपदाओं से पीड़ित मरीजों की सहायता के लिए अनुदान पांच हजार रुपए प्रति मरीज की वित्तीय सहायता प्रदान करता है। हालांकि, विभिन्न रोगों, असाध्य रोगों, दुर्घटनाओं, विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं और कोरोना जैसे  वायरस के कारण संबंधित सर्जरी की बढ़ती घटनाओं के कारण, दवाओं की बढ़ती लागत, विभिन्न परीक्षण, चिकित्सा उपचार, गरीब, आम लोग संबंधित वित्तीय उपचार का खर्च नहीं उठा सकते हैं। इसलिए महंगाई के मौजूदा दौर में पांच हजार रुपए की मदद नाकाफी है। इसी के तहत रुपये की जगह 50 लाख रुपए अनुदान देने का निर्णय लिया गया।

    वित्तीय सहायता को दोगुना करने का प्रस्ताव पारित 

    इस बारे में महापौर ऊषा ढोरे ने कहा कि राज्य सरकार के दिनांक 18 दिसम्बर, 2007 के निर्णय के अनुसार, राज्य सरकार ने पुरानी बीमारी से पीड़ित मरीज के लिए 5,000 रुपए तक की सीमा तय की है। अब तक उसी पर अमल किया जा रहा है। हालांकि महानगरपालिका ने अनुदान बढ़ाने और वित्तीय सहायता को दोगुना करने का प्रस्ताव पारित किया है, लेकिन राज्य सरकार को इस पर एक स्टैंड लेने की जरूरत है।