Pune Municipal Corporation

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पुणे: केंद्र सरकार ने सीवेज ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट (Sewage Treatment Project) में सीओडी (COD) और बीओडी (BOD) का मापदंड बदल दिया है। इसके कारण पुणे महानगरपालिका (PMC) के छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage Treatment Plant) को तोड़कर फिर से बनाना पड़ रहा था, लेकिन अब इनमें से केवल चार केंद्रो में आय पास टेक्निक के जरिए केवल एरिएशन टैंकों को नया बनवाया जाएगा। साथ ही बाकी प्लांटों में कोई बदलाव नहीं किए जाएंगे। इससे पुणे महानगरपालिका (Pune Municipal Corporation) को 100 करोड़ रुपए की बचत होगी। यह जानकारी पीएमसी के मुख्य अभियंता श्रीनिवास कुंदल ने दी।

पुणे शहर और आसपास के इलाकों से मुला-मुठा नदी में प्रतिदिन 990 एमएलडी सीवेज छोड़ा जाता है। इसमें से 550 एमएलडी पानी को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से उपचारित कर वापस नदी में छोड़ा जाता है। इस बीच, शहर में 2008 से पहले महानगरपालिका ने 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया हैं। इनमें से नायडू प्लांट को छोडकर बाकी नौ प्लांट में सीवेज पानी को उपचारित किया जा रहा है। हालांकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नदियों में प्रदूषण को कम करने के लिए ‘सीओडी’ और ‘बीओडी’ के लिए मात्रा के मापदंड में बदलाव किया है, लेकिन पीएमसी के कई पुराने प्लांट में इसके अनुसार सीवेज उपचारित करने की क्षमता नहीं है। इसलिए पीएमसी प्रशासन ने उन्हें तोड़कर नए सिरे से बनाने का प्रस्ताव दिया था।

 एरिएशन टैंकों को बनाकर अपडेट करने का निर्णय

प्रशासन द्वारा इसके लिए सलाहकार की नियुक्ति की गई थी। उन्होंने छह में से चार परियोजनाओं की डीपीआर पीएमसी को सौंपी थी। इनमें से विठ्ठलवाड़ी, एरंडवाना, बोपोडी स्थित एसटीपी की तीन डीपीआर निरीक्षण के लिए एनजीटी को भेजी गई हैं। वहीं तानाजीवाड़ी स्थित एसटीपी के डीपीआर की जांच प्रकल्प विभाग द्वारा की जा रही है। इसके साथ भैरोबा और नायडू दो परियोजनाओं का डीपीआर नहीं मिला है। वहीं बाणेर, मुंढवा और खराडी में मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अप-टू-डेट हैं और इन्हें बदलने की कोई जरुरत नहीं है, लेकिन अब पीएमसी प्रशासन ने पुराने छह सीवेज ट्रिटमेंट प्लांट में केवल एरिएशन टैंकों को बनाकर उन्हें अपडेट करने का निर्णय लिया हैं।

केंद्रीय राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सीवेज ट्रीटमेंट प्‍लांट के मापदंडों को बदलने के कारण पीएमसी के 6 ट्रीटमेंट प्लांट को तोड़कर नए से निर्माण करना पड़ रहा था, लेकिन इसमें से चार प्लांट को तोड़ने की कोई जरुरत नहीं हैं क्योंकि इन प्लांटों में 'आई पास' तकनीक का उपयोग करके केवल एरिएशेन टैकों को बदला जाएगा। इससे 100 करोड़ रुपए की बचत होगी। इस कार्य पर 450 करोड़ रुपए की राशि खर्च होगी। इसमें से 25 फीसदी पीएमसी द्वारा औऱ शेष 75 फीसदी राशि केन्द्र की अमृत योजना से खर्च की जाएगी। भविष्य की जरूरतों को समझते हुए 452 एमएलडी क्षमता के प्रोजेक्ट लगाने का प्रयास किया जा रहा हैं।

- श्रीनिवास कुंदल, मुख्य अभियंता