डीवाई पाटिल हॉस्पिटल में गरीबों के साथ लूट, विधायक लक्ष्मण जगताप ने उठाया सरकार से सवाल

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    पिंपरी. डॉ. डीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज (DY Patil Medical College) का एक चैरिटी अस्पताल है। यहां नियमानुसार सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत गरीब मरीजों (Poor Patients) का मुफ्त इलाज (Free Treatment) करना कानूनन अनिवार्य है, मगर इस अस्पताल में जहां नाम बड़े है और लक्षण झूठे हैं, गरीब मरीजों को औकात नहीं हैं, तो यहां क्यों आते हैं? जैसे शब्दों से अपमानित किया जाता है। धर्मादाय अस्पताल होने के बावजूद नेमप्लेट पर ऐसा कोई जिक्र नहीं है। अस्पताल की ऊपरी मंजिल पर एक निजी अस्पताल चल रहा है। सरकार के विभिन्न लाभों के साथ अस्पताल का निर्माण और मरीजों के लाभ के लिए व्यवसाय करते देखना चौंकाने वाला है। 

    भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप (BJP MLA Laxman Jagtap) ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Chief Minister Uddhav Thackeray) से पूछा है कि गरीबों के लिए क्या यह आपकी चिकित्सा सुविधा है? इस अस्पताल की जांच से कई चौंकाने वाले खुलासे होंगे। इसके लिए सरकार को इच्छाशक्ति दिखानी चाहिए और पूछताछ करनी चाहिए कि इस अस्पताल में अब तक कितने गरीब मरीजों का सरकारी योजना के तहत मुफ्त इलाज हुआ है। 

    अब तक के सभी मेडिकल बिलों का ऑडिट हो

    विधायक जगताप ने यह भी मांग की है कि अब तक के सभी मेडिकल बिलों का सरकार द्वारा ऑडिट किया जाए। इस संबंध में विधायक लक्ष्मण जगताप ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को ईमेल से भेजे एक बयान में कहा कि डॉ. डी. वाई. पाटिल अस्पताल चैरिटी अस्पतालों में शामिल है। इस अस्पताल में पिंपरी-चिंचवड़ और पुणे शहर के साथ-साथ पुणे जिले के कोने-कोने से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इस अस्पताल में महात्मा ज्योतिबा फुले जनारोग्य योजना और आयुष्मान भारत योजना लागू हैं। इन सरकारी योजनाओं के तहत मुफ्त इलाज की उम्मीद में बड़ी संख्या में मरीज इस अस्पताल में भर्ती हैं। वर्तमान में चिकित्सा सुविधाएं सोने से भी अधिक महंगी हैं। साथ ही कोरोना ने नागरिकों की कमर तोड़ दी हैं। कई लोगों की नौकरी चली गई है। समाज में मौजूदा स्थिति यह है कि जीवन निर्वाह के लिए पैसा नहीं है तो गंभीर बीमारी के इलाज के लिए पैसा कहां से लाएं? ऐसे में हमें सरकारी योजना के तहत अच्छा इलाज मिलेगा, इसी उम्मीद में लोग डी वाई  पाटिल इलाज के लिए अस्पताल आ रहे हैं।

    राज्य सरकार को लिखा पत्र

    राज्य सरकार ने भी बार-बार सुझाव दिया है कि धन की कमी के कारण किसी भी मरीज का इलाज बंद नहीं किया जाना चाहिए। लगातार कहा जा रहा है कि सरकारी योजना के तहत मरीजों का इलाज किया जाए, लेकिन अगर अस्पतालों में जाने के बाद अलग वास्तविकता सामने आती है। इसके लिए एक पत्र सरकार को पाटिल अस्पताल की चौंकाने वाली हकीकत से अवगत कराने के लिए लिख रहा हूं। यहां देखा गया है कि पाटिल अस्पताल अपने कर्तव्य को भूलकर एक व्यवसाय के रूप में चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहा है। अस्पताल प्रशासन गरीब मरीजों की भावनाओं को नहीं समझ पा रहा है और अस्पताल ऐसे मरीजों का इलाज नहीं कर पा रहा है। गंभीर रूप से बीमार मरीज को जब इलाज के लिए भर्ती कराया जाता है तो उसे आईसीयू की जरूरत होती है। वहीं, अस्पताल इस मरीज को इलाज के लिए भर्ती करने की प्रशासनिक प्रक्रिया में सरकारी योजना का लाभ लेने के लिए बाध्य है। मगर ऐसा किए बिना ही संबंधित मरीज को भर्ती कर लिया जाता है। 

    गरीबों के साथ की जा रही है लूटखसोट

    प्रवेश के दो दिन बाद एक आईसीयू बेड उपलब्ध कराया जाता है। मरीजों की इस आईसीयू बेड को जनरल वार्ड की जगह प्राइवेट वार्ड में लेने को मजबूर किया जा रहा है। यही नहीं आईसीयू के लिए 50 हजार और पहले के इमरजेंसी वार्ड के लिए 24 हजार कुल 74 हजार रुपए देने पड़ते हैं। जबकि ऐसे मरीजों को सरकारी योजनाओं के तहत लाभ देते हुए उन्हें इलाज देना चाहिए। मगर इस अस्पताल में ऐसा कुछ नहीं हो रहा है और धड़ल्ले से गरीबों के साथ लूटखसोट की जा रही है।