Bombay-High-court

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    पिंपरी: पुणे और पिंपरी-चिंचवड जैसे शहरों में हाउसिंग सोसाइटियों में रहनेवाले नागरिकों को पानी खरीदने की नौबत आयी हैं। दोनों ही महानगरपालिकाओं के लोगों को पानी की आपूर्ति (Water supply) करने में नाकाम साबित हुई है, जबकि बिल्डिंग परमिशन से लेकर प्रॉपर्टी टैक्स (Property Tax) तक से दोनों महानगरपालिकाओं को करोड़ों की आय मिलती है। इसके बावजूद पानी जैसी बुनियादी जरूरत को पूरा करने में प्रशासन विफल रहा है। इसके चलते हाउसिंग सोसाइटियों ने मुंबई हाईकोर्ट (Mumbai High Court) में याचिका दायर कर दरकार लगाई है। वहीं अदालत ने भी दोनों महानगरपालिकाओं को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

    महानगरपालिका की सीमा के भीतर शहरी क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों के सामने पानी के मुद्दे पर नागरिक कृति समितियों ने संयुक्त रूप से मुंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। इस पर संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की बेंच ने प्रतिवादी पुणे और पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका सहित अन्य को पानी के मुद्दों को लेकर नोटिस जारी किया है। 

    29 नवंबर तक देना है जवाब 

    उन्हें 29 नवंबर 2022 तक जवाब देने का निर्देश दिया गया है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला और आरएन लाजधा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। यह याचिका पिंपरी चिंचवड सहकारी गृहनिर्माण कल्याण संस्था फेडरेशन, वाघोली गृहनिर्माण संस्था एसोसिएशन, पुणे जिला सहकारी गृहनिर्माण संस्था और अपार्टमेंट फेडरेशन, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत, बाणेर पाषाण लिंक रोड वेल्फेअर ट्रस्ट, बालेवाडी रेसिडेन्सी सहकारी हौसिंग वेल्फेअर लि., बावधन सिटिजन फोरम, औंध विकास मंडल और एसोसिएशन ऑफ नगर रोड सिटिजन्स फोरम ने संयुक्त रूप से दायर की है।

    लोगों को खरीदना पड़ता है पीने का पानी

    याचिका में कहा गया है कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका सीमा में रहने वाले नागरिकों को पीने का पानी खरीदना पड़ता है। सोसाइटियां हर साल पानी पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। निजी जलापूर्ति स्रोत का पानी पीने योग्य है या नहीं, इसकी जांच के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इससे नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी उल्लेख किया है कि बिल्डर, ठेकेदारों और टैंकर मालिकों द्वारा समानांतर जल वितरण प्रणाली चलाई जा रही है। पुणे जिले के सभी बांध शत-प्रतिशत भरे हुए हैं। हालांकि, पुणे और पिंपरी-चिंचवड महानगरपालिका नागरिकों को पानी की आपूर्ति करने में असमर्थ हैं। 

    खराब पानी स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा

    केंद्रीय आवास और नागरिक मामलों के मंत्रालय द्वारा दिए गए मानक के अनुसार, शहरी क्षेत्रों को प्रतिदिन औसतन 135 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि सोसाइटियों में केवल 20 लीटर पानी उपलब्ध है। याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि निजी टैंकरों का खराब पानी नागरिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। पुणे महानगरपालिका ने बालेवाड़ी में गगनचुंबी भवनों के निर्माण की अनुमति दे दी है, लेकिन उन्हें पानी की आपूर्ति करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करने में विफल रही है। नतीजन एक सोसाइटी को पानी के लिए सालाना डेढ़ करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।