Uddhav Thackeray
उद्धव ठाकरे प्रेस कॉन्फ्रेंस को सम्बोधित करते हुए (फोटो: एएनआई)

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के गीत से 'जय भवानी' शब्द को हटाए जाने की मांग को लेकर चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की और कहा कि पार्टी के गीत से 'जय भवानी' हटाने की मांग करना महाराष्ट्र का अपमान है।

Loading

मुंबई. महाराष्ट्र (Maharashtra) के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने अपनी पार्टी के गीत से ‘जय भवानी’ शब्द को हटाए जाने की मांग को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि पार्टी के गीत से ‘जय भवानी’ हटाने की मांग करना महाराष्ट्र का अपमान है। हम चुनाव आयोग की बात नहीं मानेंगे।

ठाकरे ने कहा पार्टी के नए गीत से ‘जय भवानी’ और ‘हिंदू’ जैसे शब्द हटाने के लिए निर्वाचन आयोग से एक नोटिस मिला है, लेकिन हम इसका पालन नहीं करेंगे। पार्टी के गीत से ‘जय भवानी’ हटाने की मांग करना महाराष्ट्र का अपमान है।” उन्होंने कहा, “मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने ‘बजरंग बली की जय’ कहा था। जबकि, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर उन्हें चुना जाए तो सभी को अयोध्या में रामलला के ‘दर्शन’ के लिए ले जाया जाएगा।”

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख ने कहा, “हमें कल चुनाव आयोग से एक पत्र मिला, हमारी पार्टी का प्रतीक अब ‘मशाल’ है, हमने आगामी चुनावों के लिए ‘मशाल’ गीत लॉन्च किया भारत के चुनाव आयोग ने हमसे दो शब्द- ‘हिंदू’ एवं ‘जय भवानी’ हटाने के लिए कहा है। मैं चुनाव आयोग को बताना चाहता हूं कि मैं इसे नहीं हटाऊंगा…।”

ठाकरे ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज ने देवी तुलजा भवानी के आशीर्वाद से हिंदवी स्वराज की स्थापना की। हम देवी या हिंदू धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं। यह अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।”

उन्होंने कहा कि वह अपनी जन सभाओं में ‘जय भवानी’ और ‘जय शिवाजी’ कहने की परंपरा जारी रखेंगे। ठाकरे ने चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या कानून बदल दिए गए हैं और क्या अब धर्म के नाम पर वोट मांगना ठीक है। आयोग ने हमारे पत्र और हमारे द्वारा भेजे गए स्मरण-पत्र का जवाब नहीं दिया है। स्मरण-पत्र में हमने कहा था कि अगर कानून बदले गए हैं तो हम अपनी चुनावी रैलियों में ‘हर-हर महादेव’ भी कहेंगे।” 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता बालासाहेब ठाकरे को मतदान करने और चुनाव लड़ने से छह साल के लिए रोक दिया गया था क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के लिए अभियान चलाया था, जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे। (एजेंसी इनपुट के साथ)