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नई दिल्ली/मुंबई. जहां एक तरफ आज यानी शनिवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल (Prafull Patel) को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष घोषित किया है। वहीं दूसरी तरफ भतीजे अजीत पवार (Ajit Pawar) को कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी गई है। हालांकि अजित पवार कार्यक्रम में मौजूद थे।  यह ऐलान सुन कर वे बिलकुल चुप रहे। मीडिया से बात किए बिना दिल्ली के कार्यक्रम स्थल से निकल गए।  जिसको लेकर अब राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग बातें चल रही हैं। 

NCP के नेता प्रतिपक्ष लेकिन पार्टी दायित्वों से रखा गया दूर 

हालांकि अजित पवार वर्तमान में महाराष्ट्र की विधानसभा में NCP के नेता प्रतिपक्ष के रूप में वैसे ही आसीन हैं।  लेकिन आज उन्हें फिलहाल पार्टी के दुसरे दायित्वों से दूर रखा गया है।  वहीं आज शरद पवार के ऐलान से साफ हो गया कि राज्य की कमान भी धीरे-धीरे पूरी तरह से सुप्रिया सुले को देने का उनका प्लान था।  ललेकिन वहीं अजित पवार के नाम से किसी भी जिम्मेदारी का जिक्र नहीं हुआ, ऐलान नहीं हुआ।  अजित पवार सर नीचे कर इस ऐलान को सुनते रहे।  उन्होंने बड़े ही हौले से तालियां बजाईं और मीडिया से बात किए बिना चले गए। 

गौरतलब है कि, पवार ने पार्टी की 25वीं वर्षगांठ पर यह घोषणा की। पता हो कि, पवार और पी.ए.संगमा ने 1999 में पार्टी की स्थापना की थी।  जहां सुप्रिया को सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब राज्य का प्रभारी भी बनाया गया है। वहीं प्रफुल्ल पटेल को मध्य प्रदेश, राजस्थान और गोवा की जिम्मेदारी दी गई है।

क्या फिर बढ़ रही चाचा-भतीजे में दुरी

इसके साथ ही आज सुनील तटकरे को राष्ट्रीय महासचिव के अलावा ओडिशा और पश्चिम बंगाल का प्रभारी नियुक्त किया गया है। वह किसान मोर्चा और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के भी प्रभारी होंगे। इनके अलावा पार्टी नेता मोहम्मद फैजल को तमिलनाडु, तेलंगाना, केरल की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नंदा शास्त्री को दिल्ली का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। लेकिन इन सबके उलट शरद पवार ने इस बार अपने भतीजे और NCP नेता अजित पवार को किस भी प्रकार के पार्टी पद से फिलहाल वंचित रखा है। उन्हें कोई भी जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

क्या है छगन भुजबल का कहना 

इधर मामले पर NCP नेता छगन भुजबल ने कहा, सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है ताकि चुनाव का काम और राज्यसभा और लोकसभा का काम आसानी से बांटा जा सके। चुनाव नजदीक होने के कारण उनके कंधों पर ज्यादा जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के काम को संभालने के लिए है। ऐसे में अब अजित पवार क्या करेंगे, इस पर सबकी नजरें बनी रहेंगी।