ठाणे : महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के अवसर पर मंगलवार को शिव मंदिरों में ऊँ नमः शिवाय (Om Namah Shivaya) और बम-बम भोलेनाथ (Bholenath) की अनुगूँज होगी। ऐसे में शिवालयों में महाशिवरात्रि पर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। कहीं भाँग और सूखे मेवे का श्रृंगार (Shringar) किया जाएगा तो कहीं दुग्धाभिषेक कर भोले की आरती की जाएगी। इस अवसर पर आस्थावानों द्वारा व्रत भी किया जाएगा।
कहा जाता है कि जिसने शिवरात्रि पर शिव की भक्ति भाव से आराधना कर ली, वह भवसागर से पार हो जाता है। इधर पर्व के दृष्टिगत ठाणे का प्राचीन कोपिनेश्वर शिव मंदिर रोशनी से सराबोर हो गया है। अन्य शिव मंदिरों में भी रंगाई पुताई कर दी गई है और रोशनी की जा रही है। मनोरमा नगर में स्थित सिद्धेश्वर विश्वनाथ शिवालय के मुख्य न्यासी पंडित महावीर प्रसाद पैन्यूली के अनुसार भगवान शिव जल्द ही प्रसन्न होने वाले देवता हैं इनकी पूजा के लिए ज्यादा साज सामान आडम्बर की आवश्यकता नहीं होती भगवान भोलेनाथ एक लोटा जल से भी प्रसन्न होने वाले देवता हैं, इस महाशिवरात्रि भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना करें कि हे भोलेनाथ जगत में सारे जीवों का कल्याण करे, प्रकृति में सुख शांति बनी रहे।
पुराणों में महाशिवरात्रि के व्रत की महिमा का उल्लेख करते हुऐ कहा गया है कि, फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी को शिव-पूजा करने से जीव को इष्ट की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर जो कोई भी भगवान शिव की उपासना करता है, चाहें वह किसी भी वर्ण का क्यों न हो, वे उसे भुक्ति-मुक्ति प्रदान करते हैं। यदि धार्मिक महत्व की बात करें तो महाशिवरात्रि की रात को शिव और माता पार्वती के विवाह की रात माना जाता है। इस दिन शिव ने वैराग्य जीवन से गृहस्थ जीवन की ओर कदम रखा था। ये रात शिव और पार्वती माता के लिए बेहद खास थी। मान्यता है कि जो भक्त इस रात में जागरण करके शिव और उनकी शक्ति माता पार्वती की आराधना और भजन वगैरह करते हैं, उन भक्तों पर शिव और मां पार्वती की विशेष कृपा होती है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए महाशिवरात्रि की रात को कभी सोकर गंवाना नहीं चाहिए।
वैज्ञानिक दृष्टि से महाशिवरात्रि की रात है बेहद खास
शिव भक्त महावीर पैन्यूली का कहना है कि वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो भी महाशिवरात्रि की रात बेहद खास होती है। दरअसल इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है। यानी प्रकृति स्वयं मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद कर रही होती है। धार्मिक रूप से बात करें तो प्रकृति उस रात मनुष्य को परमात्मा से जोड़ती है। इसका पूरा लाभ लोगों को मिल सके इसलिए महाशिवरात्रि की रात में जागरण करने और रीढ़ की हड्डी सीधी करके ध्यान मुद्रा में बैठने की बात कही गई है।
वहीं पंडित कमला शंकर मिश्र का कहना है कि महाशिवरात्रि के समान शिवजी को प्रसन्न करने वाला अन्य कोई व्रत नहीं है। शिवरात्रि-व्रत में चार प्रहर में चार बार पूजा का विधान है। इस दिन उपवास, शिवाभिषेक, रात्रि भर जागरण और पंचाक्षर व रुद्र मंत्रों का जप करना चाहिए, साधक का शिव के समीप वास ही उपवास है।
इसी तर्ज पर महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मनोरमा नगर में स्थित सिद्धेश्वर विश्वनाथ शिवालय में महाशिवरात्रि की चारों प्रहर की पूजा शिव भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है, इस रात चारों प्रहर में भगवान भोलेनाथ के साथ साथ नंदी, कक्षप, कार्तिकेय, भगवान गणेश, कुबेर, गंगा माता, माँ पार्वती और वीरभद्र भगवान का दिव्य श्रृंगार एवं वेदोक्त पद्धति से पूजा की जाती है, नगर के नर नारी गण अपने पारंपरिक परिधानों में आकर, उपवास रखकर शिव भजन भक्ति में लीन होकर भगवान शिव की उपासना करते हैं।