मानसून आने में चंद दिन बाकी, अभी तक प्री-मानसून सफाई का काम शुरू नहीं ?

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    उल्हासनगर : उल्हासनगर महानगरपालिका (Ulhasnagar Municipal Corporation) का प्री-मानसून सफाई कार्य (Pre-Monsoon Cleaning Work) अभी तक शुरू नहीं हुआ है। शहर के लगभग सभी नाले कूड़ा-करकट (Drains) और कीचड़ (Mud) से भरे हुए है। यदि अचानक बारिश आती है, तो शहर में जलजमाव (Water Logging) का खतरा पैदा हो सकता है। लेकिन एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि सुस्त प्रशासन (Administration) ने अभी तक नाले सफाई के लिए निविदा प्रक्रिया भी पूरी नहीं की है। नाले सफाई की वार्षिक निविदा के लिए तकरीबन 2 करोड़ 74 लाख का प्रावधान है। 

    उल्हासनगर महानगरपालिका की सीमा में कुल 48 नाले है। जिनमें से 10 बड़े नाले है। स्टेशन के पास से निकली वालधुनी नदी जो अब नाले में तब्दील हो चुकी है। वालधुनी नदी और शहर के अन्य नालों के किनारे बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण बन चुके है। नाले पहले से ही संकरे हो गए हैं और नालों की सफाई न होने से नदी के आसपास बाढ़ के खतरे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। चूंकि मानसून शुरू होने से पहले सफाई की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो जाती है। लेकिन स्थानीय महानगरपालिका प्रशासन की ढुलमुल नीति के चलते यह काम नहीं हो रहा है। जबकि पास के शहर कल्याण में नाला सफाई का काम प्रगति पथ पर है। अब सवाल उठता है कि निविदा प्रक्रिया में ओर कितने दिन लग सकते है। लेकिन शहर के निचले क्षेत्रों में रहने वाले नागरिकों में घबराहट महसूस की जा रहीं है। 

    प्रशासन की घोर लापरवाही है यह 

    उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा नाला सफाई का टेंडर अप्रैल में ही हो जाना चाहिए था। वह 22 मई तक भी नहीं हुआ है। यह घोर लापरवाही है। जबकि इस तारीख तक प्रमुख नालों की सफाई का अधिकांश काम हो जाना चाहिए था। प्रशासन से निवेदन है, कि नाले सफाई पर करोड़ों रुपयों का टेंडर अब न निकाले बल्कि नालों के चोकप होने से जब बाढ़ की जैसी उत्पन्न हो तो उस राशि को राहत कार्यो पर खर्च की जाए। दायमा के अनुसार महानगरपालिका को लगता है कि बरसात के पानी से ही सारे नाले नालियां साफ हो जाएंगे तो प्रशासन एक बार आजमा लेना चाहिए। : (शशिकांत दायमा, संस्थापक – वालधुनी नदी बिरादरी – उल्हासनगर)

    कुछ तो गड़बड़ है 

    विगत कई वर्षों से कुछ खास ठेकेदारों को ही सफाई का ठेका मिलता रहा है। स्वार्थ की वजह से निविदा प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की गई है। मेरा कहना है कि यदि मानसून में कोई जनहानि होती है। तो उसका जिम्मेदार महानगरपालिका प्रशासन होगा। देरी से लगता है, कि कुछ तो गड़बड़ है। : (मैनुद्दीन शेख – मनसे शहर संगठक उल्हासनगर)

    टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में 

    उल्हासनगर महानगरपालिका द्वारा साल में 3 बार बडे नालों  की सफाई कराई जाती है, टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जल्द ही संबंधित ठेकेदार को वर्क आर्डर दे दिया जाएगा, जितना काम होता है उसी आधार पर ठेकेदार को बिल की अदायगी होती है। प्रशासन नाला सफाई को लेकर गंभीर है। : (जमीर लेंगरेकर – अपर आयुक्त उल्हासनगर महानगरपालिका)