7 दिन में 12 हजार किलो से भी अधिक निर्माल्य उल्हास नदी में जाने से बचाया

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    उल्हासनगर. सार्वजनिक गणेशोत्सव (Ganeshotsav) के दौरान लोग बड़े पैमाने पर शहर की सीमा से बहने वाली उल्हास नदी (Ulhas River) में पूजा-पाठ के बाद निकलने वाले निर्माल्य (Nirmalya) को बहाते है। इस प्रथा को रोकने के लिए अनेक सेवाभावी और पर्यावरण प्रेमी संस्थाएं समय-समय पर कोशिश करती रही है। इसी क्रम में इस गणेशोत्सव पर्व के दौरान भी निर्माल्य को नदी के बजाए उसको खुद एकत्रित करने का पुनीत कार्य उल्हास नदी बचाओ समिति (Ulhas River Save Committee) के माध्यम से किया जा रहा है।

    वालधुनी और उल्हास नदी स्वच्छता अभियान में अग्रसर उल्हास नदी बचाओ समिति के कार्यकर्ताओ और म्हारल गांव पुलिस प्रशासन द्वारा इस साल श्री गणेश विसर्जन घाट पांचवा मैल पर विशेष रूप से सक्रियता दिखाते हुए निर्माल्य संकलन केंद्र बनाया गया है।

    नदी को प्रदूषित होने से बचाने का प्रयास 

    गणेश विसर्जन के दौरान नदी में निर्माल्य और पूजा सामान प्रवाहित करने से रोकने के लिए लामबंद  हुए उल्हासनदी बचाओ समिति से जुड़े रविंद्र  लिंगायत, अश्विन भोईर, निकेत व्यवहारे, निकेश पावशे, विवेक गंभीरराव द्वारा भरी बरसात में भी अपनी सक्रियता दिखाते हुए 7 दिन में 12 हजार से भी अधिक किलो निर्माल्य संकलन किया गया और उल्हास नदी को प्रदूषित होने से बचाने का प्रयास किया। उल्हास नदी बचाओ समिति द्वारा यह सेवा पुरे 11 दिनों तक की जाएगी।