KDMC चिकित्सा संघों और अन्य सामाजिक संस्थाओं को टीकाकरण में भाग लेना चाहिए: भाऊसाहेब दांगड़े

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    कल्याण : महानगरपालिका कमिश्नर डॉ. भाऊसाहेब दांगड़े (Municipal Commissioner Dr. Bhausaheb Dangde) ने चिकित्सा संगठनों (Medical Organizations) और अन्य सामाजिक संगठनों (Social Organizations) से अपील की हैं कि वे केडीएमसी (KDMC) क्षेत्र में टीकाकरण (Vaccination) के अधिकतम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वेच्छा से भाग लें। कमिश्नर दांगड़े ने यह अपील बच्चों और गर्भवती माताओं के टीकाकरण, पल्स पोलियो टीकाकरण, कोविड टीकाकरण पर महानगरपालिका मुख्यालय स्थित स्थायी समिति हॉल में आयोजित नगर कार्यबल की बैठक में बोलते हुए की। उक्त बैठक में नगर स्वास्थ्य विभाग के उपायुक्त डॉ. सुधाकर जगताप, चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अश्विनी पाटिल, रुक्मिणीबाई अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. पुरुषोत्तम टिके, शास्त्रीनगर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुहासिनी बडेकर और वसंत वैली मैटरनिटी की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रज्ञा टिके, मेडिकल एसोसिएशन आईएमए, एनआईएमए, विश्व चिकित्सा संगठन (डब्ल्यूएचओ) की प्रतिनिधि, सर्वेक्षण चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण काटकर, महानगरपालिका के नागरिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों के साथ-साथ डॉ. गणेश डोईफोडे कई अन्य सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, महानगरपालिका के शिक्षा अधिकारी आदि उपस्थित थे। 

    भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में आया था

    विश्व स्वास्थ्य संगठन डॉ. अरुण काटकर ने नियमित टीकाकरण के उद्देश्य की जानकारी दी और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से महानगरपालिका क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए टीकाकरण के आंकड़ों के बारे में भी जानकारी दी। भारत में पोलियो का आखिरी मामला 2011 में आया था। उन्होंने दर्शकों को बताया कि मुंबई और ठाणे में उच्च जनसंख्या प्रवास के कारण उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में नियमित पल्स पोलियो टीकाकरण आवश्यक है। 

    महानगरपालिका चिकित्सा अधिकारी डॉ. गणेश डोईफोड ने दर्शकों को बताया कि इस टास्क फोर्स की बैठक टीकाकरण प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए आयोजित की गई थी। इसी तरह केंद्र सरकार के कोविड वैक्सीन अमृत महोत्सव के तहत अठारह वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को एहतियात की खुराक उपलब्ध है। महानगरपालिका टीकाकरण केंद्र 30 सितंबर, 2022 तक निःशुल्क और इससे अधिक से अधिक नागरिक लाभान्वित हों, सामाजिक संस्थाओं और कार्यकर्ताओं को भी इस बारे में अधिक से अधिक जागरुकता पैदा करनी चाहिए ऐसा आवाहन डॉ. डोइफोड ने अपने भाषण में की।