केदार दिघे और राजन विचारे ध्वजारोहण के लिए शिवसेना की केंद्रीय शाखा में शामिल हुए

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    ठाणे : ठाणे के तालाब पाली परिसर में स्थित शिवसेना (Shiv Sena) के केंद्रीय शाखा में झंडा वंदन को लेकर मध्य रात में होने वाला तनाव आखिरकार टल गया। दरअसल, ठाणे शहर में धर्मवीर आनंद दिघे (Dharamveer Anand Dighe) द्वारा शुरू की गई परंपरा के अनुसार, भारतीय स्वतंत्रता (Indian Independence) के अमृत का जश्न मनाते हुए, ठाणे शहर के केंद्रीय शिवसेना शाखा के परिसर में हर साल मध्यरात्रि ध्वजारोहण (Flag Hoisting) समारोह संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम के दौरान शिंदे समूह और उद्धव ठाकरे समूह के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराइ। 

    पुलिस द्वारा इस शाखा में झंडा वंदन नहीं करने को लेकर नौपाडा पुलिस ने ठाकरे समूह के ठाणे के सांसद राजन विचारे, जिला प्रमुख केदार दिघे सहित अन्य शिवसैनिकों को नोटिस भेजा था। लेकिन इस नोटिस की परवाह न करते हुए दोनों ने झंडा वंदन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस दौरान दोनों गुटों के कार्यकर्ता भी आमने-सामने आ गए और कुछ देर के लिए तनावपूर्ण माहौल बन गया। लेकिन दोनों गुटों द्वारा सामंजस्य की भूमिका निभाने के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति नहीं बनी। इस मौके पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, सांसद श्रीकांत शिंदे, ठाणे के पूर्व महापौर नरेश म्हस्के और शिंदे समूह के कई नेता भी मौजूद थे। 

    कड़े पुलोस बंदोबस्त के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ध्वजारोहण किया। जिसके बाद शिंदे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि देशभर में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। नागरिकों में देशभक्ति की लहर दौड़ गई है। उन्होंने कहा कि वह इस अवसर पर सभी नागरिकों को शुभकामनाएं देते हैं। शिंदे ने यह भी कहा कि आनंद दिघे को खुशी है कि यह परंपरा ठाणे में शुरू की गई है। जिसमें सभी शिवसैनिक हिस्सा ले सकते है। 

    मंत्री अपने विभाग की जिम्मेदारी ठीक से निभाएंगे: शिंदे

    मंत्रिमंडल का विस्तार करते हुए 18 विधायकों ने भी शपथ ली है। इसके बाद उन्हें खातों का आवंटन कर दिया गया है। विभागों के आवंटन को लेकर मंत्रियों में नाराजगी के सवालों के जवाब में मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि मंत्रियों में विभागों के बंटवारे को लेकर किसी भी प्रकार की नाराजगी नहीं है। इसलिए जिस मंत्री को विभाग की जिम्मेदारी दी गई है, वह जरूर महाराष्ट्र की जनता को इंसाफ दिलाएंगे। साथ ही शिंदे ने कहा कि एक बार मंत्री बनने के बाद, वह किसी विशेष क्षेत्र का मंत्री नहीं होता, वह राज्य का मंत्री होता है। इसलिए नाराजगी का सवाल ही पैदा नहीं होता।