आधार कार्ड से लापता हुए मानसिक रोगी युवक की हुई तलाश

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    ठाणे : एक 21 वर्षीय लड़के को एक सरकारी संस्था के माध्यम से ठाणे क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल (Psychiatric Hospital) में भर्ती कराया गया था। अस्पताल प्रशासन के पास लड़के के माता-पिता के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन मनोरोग अस्पताल में शुरू की गई ‘आधार कार्ड’ पहल की बदौलत युवक को उसके परिवार से मिलाने में अस्पताल प्रशासन सफल हुआ। प्रशासन ने बच्चे को उसके माता-पिता (Parents) के वाले किया। बच्चे को देख पिता की आंखों में आंसू आ गए। 

    एक 21 वर्षीय लड़का जो नवी मुंबई में राज्य सरकार के भिक्षा गृह में था, उसे अदालत के आदेश के बाद नवंबर 2022 में ठाणे के क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिसके मुताबिक इस युवक का पिछले तीन महीने से मनोरोग अस्पताल में इलाज चल रहा था। क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नेताजी मुलिक द्वारा लापता बच्चों को उनके माता-पिता को मिलाने का अभियान शुरू किया गया है। इसी के अनुसार कापूरबावड़ी स्थित आधार केंद्र के प्रमुख कैप्टन चंद्रदेव यादव और उनकी टीम के माध्यम से अस्पताल में मानसिक रोगियों के आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। इसी के अनुसार शुक्रवार सुबह 21 वर्षीय युवती का आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया भी चल रही थी। 

    युवक के आधार कार्ड पर एक मोबाइल नंबर मिला

    आधार कार्ड बनवाते समय उसके फिंगर प्रिंट लिए गए। लेकिन आधार कार्ड सिस्टम पहले ही बता रहा था कि इस युवक का आधार कार्ड बन चुका है। तो चंद्रदेव यादव ने आधार केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय में इसकी जानकारी दी। वहां के अधिकारियों ने यादव को युवक के आधार कार्ड के बारे में पता किया और जानकारी दी। यादव को युवक के आधार कार्ड पर एक मोबाइल नंबर मिला। उन्होंने तुरंत उस नंबर पर संपर्क किया। नंबर युवक के पिता का निकला। उन्होंने यह भी कहा कि लड़का एक साल से लापता है। 

    फरवरी 2022 अचानक लापता हो गया था

    जब लड़के के पिता अस्पताल आए तो लड़के को देखकर उनकी आंखों में आंसू भर आए। डॉक्टर ने उसका सर्टिफिकेट चेक किया और लड़के को उसके पिता को सौंप दिया। युवक अपने माता-पिता और दो भाई-बहनों के साथ मुंब्रा में रहता था। फरवरी 2022 में वह घर से निकलने के बाद अचानक लापता हो गया। उसके पिता ने उसे बहुत खोजा लेकिन नहीं मिला। जिसके बाद थक हारकर मुंब्रा पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। 

    हमने मनोरोगियों की पहचान के लिए यह पहल शुरू की थी। जो अब सफल हो रही है। एक साल बाद बेटे से मिलकर पिता भावुक हो गया था। ऐसे में जितनी खुशी बच्चे के माता-पिता को हुई, उससे अधिक खुशी अस्पताल प्रशासन को भी हुई।

    - डॉ. नेताजी मुलिक, अधीक्षक, क्षेत्रीय मनोरोग अस्पताल, ठाणे।