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वर्धा. पिछले कुछ वर्षों से मनुष्य व वन्यजीवों के बीच संघर्ष बढ़ते जा रहा है. वन्यजीव जंगलों से बाहर निकल कर मनुष्यों की बस्तियों में घुस रहे है़. इससे भारी नुकसान भी उठाना पड़ रहा है. पिछले 7 माह में जिले में वन्यजीवों के हमलों में करीब 5 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. वहीं 84 लोग हमले में घायल हो गए हैं. यही नहीं जंगल से सटे क्षेत्र के खेतों में वन्यजीवों के झुंड फसलों को बर्बाद कर रहे हैं. इस संदर्भ में भी अनेक शिकायतें विभाग को प्राप्त हुई है़. पिछले 7 माह में वन्यजीवों से जुड़े 2,571 प्रकरणों में वन विभाग ने 2 करोड़ 25 लाख 22 हजार 670 रुपए का अनुदान नुकसान पीड़ितों को वितरित किया है.

विकास कार्यों से जंगल क्षेत्र प्रभावित

सरकार द्वारा सर्वत्र राज्य व राष्ट्रीय महामार्गों का जाल बुना जा रहा है. बढ़ते विकास कामों के चलते जंगल क्षेत्र प्रभावित हो रहा है.  परिणामवश वन्यजीव खुद को असुरक्षित महसूस करने लगे है. दूसरी ओर हिंसक जीवों की संख्या बढ़ते जा रही है. विशेष कर गर्मी के दिनों में यह जीव पानी व शिकार की खोज में गांव व शहरों तक जा पहुंचते है़. परिणामवश मनुष्य व वन्यजीवों में संघर्ष बढ़ रहा है. ऐसे में कई बार वन्यजीवों के हमले में मनुष्यों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. 

विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर 7 माह में वन्यजीवों के हमले में 5 लोगों ने अपनी जान गंवाई हैं, वहीं 84 लोग हमले में घायल हुए है. साथ ही लहलहाती फसलों पर नीलगाय, जंगली सूअर के झुंड धावा बोल देते है़. इसमें कई बार किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. पिछले 7 माह में वन्यजीवों के आक्रमण से फसल नुकसान के 2,016 प्रकरण सामने आए है़. वन विभाग द्वारा नुकसान का सर्वे कर नियमानुसार अनुदान वितरित किया गया है.

486 मवेशियों का हुआ शिकार

जानकारी के अनुसार पिछले 7 माह में वन्यजीवों द्वारा हुए हमले में 8 वन परिक्षेत्र में करीब 486 मवेशियों की शिकार हुआ है. आए दिन बाघ, तेंदुए के हमले की घटना हो रही है. जंगल से सटे गांवों में वन्यजीवों की दहशत व्याप्त है. हर दिन ग्रामीणों को वन्यजीव नजर आ रहे हैं. इससे वन विभाग की भी चिंता बढ़ गई है.