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वर्धा. राज्य सरकार ने आरटीई के अंतर्गत स्कूल प्रवेश प्रक्रिया की स्कूलों के लिए बकाया निधि तुरंत वितरित करने की मांग जय महाकाली शिक्षा संस्था के अध्यक्ष शंकरप्रसाद अग्निहोत्री ने की है़ निवेदन प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री तथा शिक्षामंत्री को भेजा गया है़ निवेदन में कहा कि शिक्षा हक कानून विधेयक 2 जुलाई 2009 को मंत्रिमंडल ने मंजूर किया़ इसके बाद 20 जुलाई 2009 को राज्यसभा तथा 4 अगस्त 2009 में लोकसभा में मंजूर हुआ़ यह कानून 1 अप्रैल 1010 को लागू हुआ़ कानून के अंतर्गत 6 से 14 उम्रगुट के सभी बच्चों को नजदीकी सरकारी स्कूलों में नि:शुल्क तथा सख्ती की शिक्षा प्रदान करने का प्रावधान किया है़ जबकि निजी स्कूलों में 25 प्रश जगह पर बच्चों को श्रेणी में प्रवेश दिया जाता है़ इस योजना का बजट प्रति वर्ष 800 करोड़ तक है़ केंद्र सरकार 480 करोड़ रुपए तथा 320 करोड़ रुपए राज्य सरकार देती है.

विविध स्कूलों को बकाया राशि लेना बाकी

सरकारी आंकड़ेवारी के अनुसार वर्ष 2019-20 तक केंद्र सरकार की ओर से 4401 करोड़ रुपए नहीं मिले है़ इसमें से 3914 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को दिए है़ यानी 487 करोड़ केंद्र से आना बाकी है़ राज्य सरकार की ओर से 3200 करोड़ रुपए आना है़ इसमें से 480 करोड़ रुपए सरकार ने 2019-20 तक दिए़ बजट की ज्यादातर रकम राज्य सरकार को देना बाकी है़ वर्ष 2019-20 तक लगभग 3100 करोड़ रुपए आरटीई के माध्यम से विभिन्न स्कूलों को लेना बाकी है़ राज्य में 9431 स्कूल में 96597 विद्यार्थी प्रति वर्ष प्रवेश लेते है़  जिससे आरटीई के माध्यम से बड़ी रकम स्कूलों को लेना है.

निजी स्कूलें आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे

इस संबंध में उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की गई़ केंद्र सराकर के वकील ने 2023 तक का निधि देने की बात कही़ जबकि राज्य सरकार ने दी जानकारी पर विरोधाभास निर्माण हो रहा है़ विधायक, सांसद, मंत्री, अधिकारी को वेतन और पेंशन चाहिए है़ लेकिन छोटे बच्चों के लिए पढ़ाई पर सरकार खर्च नहीं करती़  इससे समाज में असमानता फैलने की संभावना है़ निधि के अभाव में निजी स्कूलों को कार्य करते समय आर्थिक समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है़ इससे पीएम, सीएम, डीसीएम व शिक्षामंत्री से संज्ञान लेकर समस्या का निराकरण करने की मांग की है.