वर्धा. आंगनवाड़ी कर्मचारी अपनी हड़ताल पर डटे हुए है. 17 वें दिन जिला परिषद के सामने आंगनवाड़ी कर्मचारियों ने आंदोलन जारी रखा. इस दौरान आंगनवाड़ी बालवाड़ी कर्मचारी युनियन की जिला सचिव वंदना कोलनकर ने जब तक मांगे पूर्ण नहीं होती आंदोलन से पीछे न हटने की चेतावनी दी है.
सुप्रीम कोर्ट के 25 अप्रैल को ग्रैच्युइटी के बारें में दिए अंतिम आदेश पर अमल कर आंगनवाड़ी कर्मी यह वैधानिक पद होने से उन्हें मिलनेवाला मानधन यह वेतन है. जिसके अनुसार उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित कर वेतन श्रेणी, ग्रैच्युइटी, भविष्य निर्वाह निधि आदि सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जाए, आंगनवाड़ी सेविका व मदतनीस की वेतनवृद्धी घोषित करें, मदतनीस व सेविकाओं को न्युनतम 18 हजार से 26 हजार तक वेतन दें, मानधन बढ़ने के बावजूद महंगाई दुगनी बढ़ी है.
जिससे 6 महिने बाद उक्त निर्देशांक के अनुसार वृद्धि करें, महिला व बालविकास मंत्री से चर्चा के अनुसार विना योगदान मासिक निर्वाह भत्ता (पेंशन) सेवा समाप्ति के बाद लागू करें, महापालिका सीमा में जगह के निकष शिथील कर आंगनवाड़ियों को 5 हजार से 8 हजार किराया मंजूर करें, बीमारी के 8 हजार रुपए दर अल्प होने से जिससे कुपोषण निर्मूलन होने के बजाए वृद्धि हो रही है. यह दर बालकों के लिए 16 व अतिकुपोषित बालकों के लिए 24 रहना चाहिए, आदि 8 मांगों का इसमें समावेश है.
इन्होंने किया आंदोलन का नेतृत्व
आंदोलन का नेतृत्व विजया पावड़े, वंदना कोलणकर, मैना उईके, ज्ञानेश्वरी डंभारे, मंगला इंगोले, सुरेखा रोहनकर, माला भगत, अलका भानसे, ज्योती कुलकर्णी, सीमा गडिया, वंदना रेवतकर, सुनंदा आखाडे, हिरा बावणे, रंजना तांबेकर, वंदना खोब्रागडे, सविता तडस, अरुणा नागोसे, इरफान पठाण, ज्योती खोब्रागडे आदि ने आंदोलन का नेतृत्व किया.