RTE Thane

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  • 25 प्रश सीटें आरक्षित 
  • 111 स्कूलें जिले में 
  • 1,111 सीटें आरक्षित 
  • 4,986 आवेदन वैध 
  • 5,005 आवेदन प्राप्त 
  • 643 के प्रवेश बाकी 

वर्धा. शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत नि:शुल्क प्रवेश के लिये पात्र पाल्यों के आवेदन का चयन करने के बाद उन्हें प्रवेश दिये जा रहे है़ं जिले में अब तक 468 बालकों का प्रवेश निश्चित किया जा चुका है़ दूसरी ओर ऑनलाइन किये गये आवेदनो में प्रशासन ने 16 डूप्लीकेट आवेदन रद्द करने की जानकारी है़ फिलहाल प्रवेश लेने की अवधि 8 मई तक शिक्षा विभाग ने बढ़ा दी है़ गरीब व जरूरतमंद बालकों को दर्जात्मक व नि:शुल्क शिक्षा का लाभ मिल सके इसलिए सरकार ने आरटीई प्रवेश प्रक्रिया चलायी है़ एक भी बालक शिक्षा से वंचित न रहे, यह इसके पीछे का उद्देश्य है़ इसके लिए सरकार अनुदानित व बिना अनुदानित स्कूलों में 25 प्रश सीटें आरक्षित रखती है़  इसके लिये प्रति वर्ष अभिभावकों से ऑनलाइन आवेदन मंगवाये जाते है. 

तकनीकि दिक्कत के कारण बढ़ाई अवधि 

इस बार जिले में 111 स्कूलों में 1,111 सीटें आरक्षित रखी गई है़ इसके लिये ऑनलाइन पोर्टल पर करिब 5,005 आवेदन प्राप्त हुए. इन आवेदनों की प्राथमिक स्तर पर जांच के बाद करिब 16 डूप्लीकेट आवेदन रद्द करने किए जाने की जानकारी प्राथमिक शिक्षा विभाग ने दी है़ वहीं 4,986 आवेदन वैध करार दिये गये़ ड्रा खुलते ही 12 अप्रैल को अभिभावकों के मोबाइल पर मैसेज भेजे गये़  पश्चात 13 से 25 अप्रैल के दौरान जांच समिति की ओर से दस्तावेजों की जांच के बाद संबंधित स्कूलों में प्रवेश लेने का आह्वान किया गया़  परंतु इस दौरान काफी दिक्कतें आ रही थी. 

643 बालकों की प्रवेश प्रक्रिया पूरी होना शेष

आरटीई प्रवेश प्रक्रिया में तकनीकि समस्या को देखते हुए शिक्षा विभाग ने प्रवेश की अवधि 8 मई तक बढ़ा दी गई है़  जिले में आज भी 643 बालकों का प्रवेश रूका हुआ है़  चयनित बालकों को संबंधित स्कूलों में प्रवेश दिलाने का आह्वान शिक्षा विभाग कर रहा है. 

प्रवेश देने के लिये की जा रही आनाकानी

उल्लेखनीय है कि आरटीई प्रवेश प्रक्रिया चलाने के लिये सरकार की ओर से अंग्रेजी माध्यमों की स्कूलों को प्रति विद्यार्थी अनुदान दिया जाता है़  परंतु करोड़ों का अनुदान सरकार पर बकाया होने के कारण कुछ स्कूलें बालकों को नि:शुल्क प्रवेश देने में आनाकानी करती नजर आ रही है़  इस ओर शिक्षा विभाग से गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की मांग की जा रही है.