शिक्षकों ने निकाला जनआक्रोश मोर्चा, 12 संगठनों ने सरकार के निर्णय का किया तीव्र विरोध

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    वर्धा. पुरोगामी महाराष्ट्र में 20 से कम छात्रसंख्या वाली स्कूलें बंद करने का षड़यंत्र रचा जा रहा है़ इस निर्णय को वापस लेने की मांग पर सैकड़ों शिक्षकों ने जनआक्रोश मोर्चा निकाला़  मोर्चा में करिब 12 शिक्षक संगठन व बड़ी संख्या में पालकों ने हिस्सा लिया था़ शिक्षा की गंगा घर घर पहुंचाने, समाज विकसित करने के उद्देश्य से हर गांव में स्कूलें बनाई गई़  सरकारी स्कूलों में गरीब विद्यार्थी पढ़ते है़ं हर विद्यार्थी को शिक्षा का अधिकार है़  शिक्षकों की बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े है़ं  अतिरिक्त काम का बोझा बढ़ रहा है.

    वर्तमान स्थितीत शिक्षकों की पदभरती करना जरूरी है़  इस ओर सरकार का ध्यान नहीं हैं, उलटा सरकारी स्कूलें बंद करने का निर्णय लिया जा रहा है़ ग्रामीण अंचल की स्कूलें बंद करना यानी बच्चों को दिये जाने वाली घटनात्मक व कानूनी अधिकार से वंचित रखना है़  राज्य में 67,775 शिक्षकों के पद रिक्त पड़े है़ सरकारी तिजोरी पर भार न पड़े इसलिये 20 से कम छात्रसंख्या वाली स्कूलें बंद करने पर जोर दिया जा रहा़ यह निर्णय अत्यंत गलत है़ इस निर्णय के खिलाफ शुक्रवार को शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी संगठन, नागरिक तथा विद्यार्थी-अभिभावकों ने जनआक्रोश मोर्चा निकाला.

    जिलाधिकारी को सौंपा मांग का ज्ञापन 

    जिप के महात्मा गांधी विद्यालय से मोर्चा को शुरुआत हुई़ सेवाग्राम मार्ग होते हुए मार्चा डा़ बाबासाहब आंबेडकर चौराहे पर पहुंचा़  जहां से जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष सभा ली गई़ जहां पर उपस्थितों ने शिक्षकों को संबोधित किया़  इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने मांगों का ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को भेजा.

    इस प्रसंग पर राज्य के सभी शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मचारी व अन्य विभाग के कर्मियों को पुरानी पेन्शन योजना लागू करने की मांग की गई़  साथ ही शाला बचाओ, शिक्षा बचाव का नारा दिया गया़ महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति के अगुवाई में निकाले गये मोर्चा में प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षक, सामाजिक क्षेत्र के कार्यकर्ता, शालेय पोषण आहार पकानेवाली महिला व सहायिका सहित पालक बड़ी संख्या में शामिल हुए थे.