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    वर्धा. पिछले कुछ माह से स्थानीय मिनी मंत्रालय में जिप अध्यक्ष व सीईओ में चल रहा विवाद चर्चा में है़  शुक्रवार को बंद द्वार बैठक में सीईओ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मंथन किया गया था. इस पर अन्य सदस्यों की राय लेने सोमवार को अध्यक्ष ने आनन-फानन में बैठक बुलाई थी, परंतु बैठक से अनेक सदस्यों ने किनारा किया. परिणामवश जिप अध्यक्ष के मंसूबों पर पानी फिरने की चर्चा जिप में चल रही है. जिप की अध्यक्ष सरिता गाखरे व सीईओ ओम्बासे में कुछ बातों पर संघर्ष चल रहा है.

    अध्यक्ष के अनुसार सीईओ ओम्बासे कोई भी निर्णय लेते समय उन्हें अथवा अन्य सदस्यों को विश्वास में नहीं लेते़  प्रशासनिक स्तर पर मनमानी से काम चला रहे हैं. वहीं दूसरी ओर सीईओ को प्रशासनिक स्तर पर होने वाले कामों में अध्यक्ष की दखलअंदाजी रास नहीं आ रही है. जहां अध्यक्ष व सीईओ के बीच टकराव की स्थिति देखने मिल रही है. स्वास्थ्य उपकेंद्रों की मरम्मत के लिए डीपीसी से प्राप्त निधि अथवा कोविड सेंटर में उपाय योजना के लिए जिलाधिकारी की ओर से प्राप्त निधि से परस्पर कामों को प्रशासकीय मान्यता देने का आरोप अध्यक्ष ने सीईओ पर लगाया है.  

    दिनभर केवल 3 से 4 सदस्यों ने ही ली भेंट 

    दूसरी ओर सीईओ अपने अधिकार में हैं वहीं काम करने की खबर है. जिप के तबादले व पदोन्नती की प्रक्रिया में भी दोनों के बीच टकराव देखने मिला था. आखिरकार यह विवाद बढ़ गया कि शुक्रवार की दोपहर 3 बजे अध्यक्ष के कक्ष में एक सभापति व कुछ सदस्यों में चर्चा हुई थी. इसमें सीईओ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार विमर्श कर इस संदर्भ में सत्तापक्ष के सदस्यों से चर्चा करने पर मुहर लगाई गई. चर्चा के लिये सोमवार को अध्यक्ष ने एक बैठक बुलाई थी. दिनभर अध्यक्ष सरिता गाखरे जिप में मौजूद थी. परंतु भाजपा के अधिकांश सदस्य को इस षड्यंत्र की भनके लगने से सत्तादल के अधिकांश सदस्य जिप में नहीं पहुंचे. कुछ सदस्य पहुंचे लेकिन उन्होंने अध्यक्ष से मिलना जरूरी नहीं समझा. दिन भर चले घटनाक्रम में अध्यक्ष से तीन से चार सदस्यों ने ही भेंट करने की जानकारी है.

    अनेक सदस्यों में नाराजगी का माहौल 

    अध्यक्ष ने उठाये कदम पर भाजपा के ही अनेक सदस्यों ने अपनी नाराजगी जताई है़ अन्य कामों के लिए अध्यक्ष हमें विश्वास में नहीं लेती हैं, फिर अब क्यों हमें तवज्जों दें रही है. यह अनेक सदस्यों का कहना है. परिणामवश अविश्वास प्रस्ताव के प्रति सदस्यों ने अधिक रुचि नहीं दिखा, जिससे अध्यक्ष के मंसूबे धरे के धरे रह गये है. 

    दबाव बनाने की गई कोशिश

    जिप अध्यक्ष द्वारा उठाया गया यह कदम मात्र सीईओ ओम्बासे व वरिष्ठ अधिकारियों पर दबाव बनाने की कोशिश है़  वर्तमान स्थिति में अविश्वास जैसी प्रक्रिया संभव नहीं. भाजपा के सदस्यों में ही आपसी तालमेल नहीं है़ अध्यक्ष के साथ खड़े रहने के लिए कोई तैयार नहीं है. 

    -संजय शिंदे, गुटनेता-कांग्रेस.