पर्याप्त बारिश के अभाव में जिले में बुआई की शुरुआत नही, 90 फिसद बुआई कार्य अधर में लटके

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    यवतमाल. मान्सून की बारिश में  देरी के साथ ही रोहिणी नक्षत्र के बाद मृग नक्षत्र गुजरता जा रहा है, लेकिन जिले में पर्याप्त तौर पर बारिश ने हाजीरी नही लगायी है.बारिश न होने से यवतमाल जिले की सभी तहसीलों में फिलहाल बुआई कार्य रुके हुए है.मान्सून पूर्व कपास बुआई का चलन होने से जिले में लगभग 10 फिसद किसानों ने कपास बीजों की बुआई की है, जबकी सोयाबीन, कपास, दलहन और अन्य सभी खरीफ फसलों की 90 फिसदी बुआई फिलहाल जिले में नही हुई है.

    कृषि विभाग ने मान्सून की बारिश और मृग नक्षत्र में पर्याप्त बारिश के बाद ही बुआई करने की किसानों को सलाह दी है.तो दुसरी ओर मौसम विभाग ने राज्य में कोंकण और मुंबई ईलाके के बाद जिले में 20 जुन तक मान्सून की बारिश होने का अनुमान जताया हुआ है. इसे ध्यान में लेकर किसान बीज बुआई के लिए जमिन अच्छी तरह गिली होकर सुखने के लिए बारिश की राह देख रहे है.लेकिन फिलहाल जिले में खरीफ बुआई ने जोर नही पकडा है, सभी किसान अब केवल बारिश की राह तक रहे है.

    जिले का आर्थिक गणित और बाजारु व्यवहार कृषी की फसलों पर ही निर्भर करता है. यवतमाल जिले में कपास और सोयाबीन प्रमुख फसल होने के साथ ही दलहन और अन्य फसलें किसान लेते है. इसपर उनका खेती और परिवार का वार्षिक बजट निर्भर होता है.जिससे इस खरीफ फसल सत्र में भी जिले की अधिकांश तहसीलों में अब तक खरीफ फसल के लिए खेतजमिन तैयार करने का कार्य किसानों ने पुरा कर लिया है.

    ग्रिष्मकाल के आखिरी पडाव में जिले में किसानों ने खेतों में पारंपारिक हल,ट्रैक्टरों के हल और आधुनिक यंत्रों के जरीए खेतों की मिटटी को जोतकर छोडा था,जिले में पारंपारिक प्रणाली और रोटावेटर, तीन फावडी, पांच फावडी हलों सें इसे भुरभूरी कर खेतों की जमिन को फसल बुआई के योग्य बनाकर बुआईयों की तैयारीयां पुरी कर ली है.

    फिलहाल दुबारा बुआई का संकट नही

    फिलहाल जिले में मान्सूनपूर्व कुछ किसानों ने कपासों की बुआई की है, लेकिन यह अधिक क्षेत्र नही है, अब तक बारिश न होने से इन किसानों के खेतों में बीजों की क्या स्थिती है, बुआई के बाद बीजों के अंकुरन की क्या स्थिती है, दुबारा बुआई का संकट निर्माण हुआ या नही,इसका सर्वे करने का काम तहसील कृषी यंत्रणा कर रही है, आगामी सोमवार तक इस बारे में ठोस जानकारी दी जा सकेंगी.एैसी जानकारी तहसील कृषी अधिकारी ने आज 18 जुन को दी.उन्होने बताया की जिले और तहसील में खरीफ फसल के बुआई क्षेत्र, बीज, खाद और किसानों को जरुरी सहायता से जुडे कामों पर प्रशासनिक स्तर पर ध्यान दिया जा रहा है.

    जिले में औसत 911मिलीमिटर बारिश होती है, इस बार खरीफ सत्र में बुआई का नियोजन अच्छी बारिश होने क आधार पर कृषी विभाग ने किया है, जिले की 16 तहसीलों में अनुमानित तौर पर साढे 9 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्रमुख तौर पर सोयाबीन की 2 लाख 80 हजार से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई होंगी.

    जबकी इस वर्ष भी जिले में सर्वाधिक यानी 4 लाख 55 हजार हेक्टेयर में कपास की बुआई होंगी.इसके अलावा 7 500 हे.में ज्वारी, 15 हे.बाजरा,890 हे.और लगभग 1 लाख हे. में मक्का की फसल ली जाएंगी, जबकी 24 हजार से अधिक हेक्टेयर क्षेत्र में तुअर समेत मुंग, उडद,तथा मुंगफल्ली की फसल होंगी.इसके अलावा जिले में सब्जी और गन्ने की भी खरीफ फसल में बुआई होंगी.इसके लिए लगनेवाले जरुरी खाद,उर्वरकों और रासायनिक दवाईयों के संदर्भ में जिला प्रशासन ने खरीफ फसल के तहत नियोजन किया है.

    कृषी विभाग के मुताबिक जिले में इस सत्र में 2 लाख 15 हजार 300 मेट्रीक टन खाद लगेंगा, जिसमें नत्र, स्फुरद, डीएपी, पलाश, युरिया का समावेश है, इसके लिए जिलास्तर पर नियोजन किया गया है.इसी बीच जिले में नकली, खाद और बीजों की रोकथाम, खाद की  लिकींग और कृत्रीम किल्लत को लेकर जिलाधिकारी ने कृषी विभाग को सतर्कता बरतने और इस तरह के मामलों में फौजदारी कारवाई के निर्देश दिए है.