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    बाभुलगांव. फिलहाल किसानों की खरीफ फसल की तैयारीयों के साथ ही फसल बुआई का काम जारी है, जिसके लिए किसान बीज और खाद की खरीदी में जुटे है.लेकिन इस वर्ष कपास,सोयाबीन और खाद के दाम आस्मान छू जाने से किसानों में आर्थिक चिंता छा चुकी है, इनके दाम बढ जाने से किसानों का आर्थिक गणित बिगड चुका है.

    दुनिया में अन्न्दाता के तौर पर किसानों को अहम स्थान है, लेकिन उन्हे सरकार, प्रशासन, प्रकृती की तिहरी मार झेलनी पड रही है, एक ओर बीज, खाद के दाम बढ जाने तो दुसरी ओर सरकारी स्तर पर खेती की उपज को उचित दाम नही मिल पा रहे है, तो तिसरी ओर रासायनिक कंपनीयों ने की हुई किल्लत देखते हुए लिकींग के कारण किसाना समस्याओं में कुचला जा रहा है.

    बिते खरीफ सत्र की तुलना में इस वर्ष सोयाबीन 1 हजार की बजाय 1500 रुपए प्रति बैग दाम हो चुके है, जबकी रासायनिक खाद 20 :20: 0 की प्रति बैग पर इस वर्ष 475 बढत हो चुकी है.जकी 10:26:26 बैग की किंमत 370 रुपए बढ चुकी है.खरीफ सत्र में बाभुलगांव तहसील में कुल 44 हजार एकड में कपास के बुआई क्षेत्र में इस बार बढत हुई है, जिससे इस बार तहसील में 19 हजार एकड में कपास की जबकी 15 हजार एकड में सोयाबीन और बचे हुए क्षेत्र में तुअर, मुंग, उडद आदी फसलें बोई जाएंगी एैसा कृषी विभाग का अनुमान है.

    खेती के बढते क्षेत्र को देखते हुए रासायनिक खाद की मांग बढ चुकी है, लेकिन खाद रैक की कमी है, जीस रैक पर खाद आती है, वहां पर कंपनी द्वारा मनमानी तौर पर लिकींग की जाती है.10 टन युरिया के 48 हजार के लिकिंग में व्यापारीयों कों 8 टन युरिया होता है,ताकी सभी को खाद मिल पाए, कृषी केंद्रों में खाद की लिकींग की जाती है,लेकिन यह काफी महंगा खाद होने से इसे कैसे बेंचे यह सवाल कृषी केंद्रों के सामने है, जिससे अप्रत्यक्ष तौर पर इसका आर्थिक बोझ किसानों पर पड रहा है, जिसपर कृषी विभाग ने ध्यान देना जरुरी है.

    इस बारे में कृषी साहित्य विक्रेता असोसिएशन ने आवाज उठाकर जिलाधिकारी का ध्यान खिंचा था, जिसके बाद उन्होने लिकींग के बारे में कंपनीयों को ताकीद दी थी, लेकिन खाद कंपनी ने इसे दरकिनार कर लिकींग का दायरा अधिक बढाया, जिससे अब खाद कंपनीयों के मनमानी कामकाज पर कृषी विभाग और जिलाधिकारी ने ध्यान देकर नकेल कसने और किसानों की आर्थिक लुट रोकने की मांग की जा रही है.