अनेक ग्रामो मे हिंसक प्राणियों का खौफ, बढ रहा मानव वन्यजीव संघर्ष

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    वणी.  तहसील मे लगे विभिन्न ग्रामो मे हिंसक प्राणियो का खौफ देखा जा रहा है. तहसील के अधिकांश ग्राम वनो से सटे हुए है जिसके कारण वे आए दिन ग्रामो मे आकर मानव व मवेशियो को अपना निवाला बनाते है. फिलहाल क्षेत्र मे जंगली जानवरो का डर नागरिको मे बना हुआ है.

    वर्तमान मे जंगल से लगे ग्रामो मे मानव वन्यजीव संघर्ष चरम पर पहुंच गया है. इसकी मुख्य वजह बाघ को ही समझा जाता है और यह समाज मे भ्रम है. मानव वन्यजीव संघर्ष न केवल बाघो और मनुष्यो के बीच का संघर्ष है, बल्कि तेंदुआ, हिरण , जंगली सुअर, भालू और किसान खेत मजदूरो के बीच एक दैनिक संघर्ष भी है. 

     बाघो को हमेशा संघर्ष की स्थितियो के लिए दोषी ठहराया जाता है. जब लोग जंगल मे प्रवेश करते है और किसी महिला या पुरूष झुक कर काम करते है, जिससे जानवर समझकर बाघ हमला करता है. एक ओर जब बाघ के हमले मे एक व्यक्ति की मौत होती है तो दूसरी ओर औसतन सैकडो लोग कुत्ते के काटने से मारे जाते है. हजारो लोग खुद इंसानो व्दारा हत्या कर मारे जाते है. और लाखो लोग सडक दुर्घटनाओ मे मारे जाते है.

    हालांकि , बाघो के हमले की घटनाओ की चर्चा खूब होती है. इसमे मुख्य रूप से राजनीतिक नेता अपना वोट बैंक बढाने के लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ता लोगो का स्नेह हासिल करने के लिए बाघो को मारने की मांग को लेकर सडको पर उतर आते है और बाघ का चेहरा दुनिया के सामने आ जाता है और शुरू होता है बाघ और आदमी का संघर्ष .

     वनों की कमी भी एक बडा कारण बन रहा है

    मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रमुख कारणो मे वनो पर अतिक्रमण , खनीज के लिए खुली खदान, उनके के लिए सडको का निर्माण , वनोपजो का संग्रहण , लकडी की चोरी के लिए पशुओ को चराने के लिए जंगल मे प्रवेश , खाने के लिए शाकाहरियो प्राणियो का अंधाधुंध शिकार, रातदिन पर्यटन शामिल है. अभयारण्य के अपने निवास स्थान को छोडकर , शर्मिला, निशाचर बाघ, जानवर और नए आवास की तलाश मे गांव की ओर, कृषि की ओर बढने लगे परिणामस्वरूप , मानव वन्यजीव संघर्ष बढ गया है और अपने चरम पर पहुंच गया है.