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     यवतमाल: वर्तमान डिजीटाइजेशन के दौर में भी जिले की अधिकांश सरकारी, जिला परिषद स्कूलों के मुख्याध्यापकों को अपना शालेय कामकाज निपटाने के लिए स्वतंत्र रूप से कमरों का प्रबंध नहीं है। जिसके चलते मुख्याध्यापकों को शिक्षकों के लिए बनाए गए कमरों या फिर स्कूलों के बरामदे में पेडों के नीचे बैठकर काम निपटाना पड रहा है। जिले में सरकारी, जिला परिषद, निजी स्कूल समेत अन्य कुल 3 हजार 346 स्कूल है। लेकिन इमसें 664 स्कूलों के मुख्यध्यापकों बैठने के लिए स्वतंत्र कक्ष नहीं है। 

    जिले में बच्चों को बेहतर पढाई का लाभ दिलवाने के लिए सरकारी, जिला परिषद समेत संस्थाओं द्वारा स्कूलों का निर्माण किया गया है। इस स्कूलों के माध्यम से बच्चों को पढाया जाता है। ताकि उनका आनेवाला भविष्य बेहतत बनाया जाए।  जिले में  जिला परिषद की 2108, सरकारी स्कूल की 147, निजी अनुदानित की 702, बगैर अनुदानित की 389 कुल 3346 स्कूलों की संख्या है।

    इन स्कूलों को बनाते समय कक्षा कमरों के साथ ही स्वतंत्र रूप से मुख्याध्यापक का कक्ष, बच्चों को खेलने के लिए मैदान, शौचालय, जल की सुविधा समेत अन्य महत्वपूर्ण पहलूओं पर ध्यान दिया जाता है। ताकि बच्चों को पढाते समय कोई असुविधा ना हो। ऐसे में जिले में 2 हजार 682 स्कूलों में मुख्याध्यापकों को बैठने की व्यवस्था की गई है। लेकिन आज भी 664 स्कूलों के मुख्याध्यापकों के  बैठने के लिए स्वतंत्र कक्ष का निर्माण नहीं हुआ है। जिस वजह से स्कूल के मुख्याध्यापकों के कामकाज पर प्रभाव होने की ज्यादा संभावनाए होती है। 

      136 स्कलो में लडकियों के लिए नहीं शौचायल की सुविधा

    जिले में लगभग 3 हजार 346 स्कूलों की  संख्या है। इसमें से 136 स्कूलों में लडकियों के लिए स्वंतत्र शौचालय का निर्माण नहीं हुआ है। साथ ही 240 स्कूलों में लडके लिए भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है। जिस वजह से बच्चों को दिक्कत का सामना करना पडता है।  

    268  स्कूलों को नहीं है सुरक्षा दीवार 

    किसी भी स्कूल का निर्माण करते समय बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जाता है। खेलते, पढते समेत अन्य एक्टीविटी करते समय बच्चों को किसी भी बाहरी परेशानियों का सामना ना करना पडे। लेकिन जिले के 3346 स्कूलों में से 268 स्कूलों के लिए सुरक्षा की दीवार ही नहीं है। 

    पेडिंग काम को प्राथमिकता देगें 

     हाल ही माध्यमिक शिक्षाधिकारी का पदभार संभाला है। स्कूलों को भेंट देकर उनकी समस्या का आकलन किया जायेगा। कुछ कामकाज निर्माणाधीन है। जल्द ही बचे कामों को पूरा किया जायेगा।

    – शिवानंद गुंडे, शिक्षाधिकारी, जिप यवतमाल